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________________ १५० ) छक्खंडागमे संतकम्म उदीरणा विसेसाहिया, जहण्णढिदि विसेसाहिया। पंचणाणावरण-चउदंसणावरण पंचंतराइयाणं जहण्णट्ठिदिउदीरणा विसेसाहिया, जहण्णट्ठिदि विसेसाहिया । हस्सरटीगं जहण्णदिदिउदीरणा विसेसाहिया, जहण्णद्विदि विसेसाहिया । णवंसयवेदस्स* जहण्णदिदिउदीरणा विसेसाहिया, जहण्णदिदि विसेसाहिया। अरदि-सोगाणं जहण्णद्विदिउदीरणा विसेसाहिया, जहण्णढिदि विसेसाहिया। भय-दुगुंछाणं जहण्णछिदिउदीरणा विसेसाहिया, जहण्णट्ठिदि विसेसाहिया। सोलसणं कसायाणं जहण्णछिदिउदीरणा तत्तिया चेव, तेसि चेव जहण्णछिदिउदीरणा विसेसाहिया । णिहापयलाणं जहण्णट्ठिदिउदीरणा संखेज्जगुणा, जहण्णछिदि विसेसाहिया । एवं णिरयगइजहण्णट्ठिदिउदीरणादंडओ समत्तो। तिरिक्खगईए सम्मत्त-मिच्छत्त-तिरिक्खाउआणं जहण्णठिदिउदीरणा थोवा, जहण्णछिदिउदीरणा असंखेज्जगुणा । वेउव्वियसरीरणामाए जहण्णट्ठिदिउदीरणा असंखेज्जगुणा, जहण्णट्ठिदि विसेसाहिया । जसगित्तीए जहण्णट्ठिदिउदीरणा विसेसाहिया, जहण्णहिदि विसेसाहिया । अजसगित्तीए जहण्णट्ठिदिउदोरणा विसेसाहिया, जहण्णट्ठिदिउदीरणा विसेसाहिया।तिरिक्खगइणामाए जहण्णहिदिउदीरणा विसेसाहिया, जहण्णहिदि विसेसाहिया । णीचागोदस्स जहणिया नीयकी जघन्य स्थिति-उदीरणा विशेष अधिक है, ज-स्थिति-उदीरणा विशेष अधिक है। पांच ज्ञानावरण, चार दर्शनावरण और पांच अन्तरायकी जघन्य स्थिति-उदीरणा विशेष अधिक है; ज-स्थिति-उदीरणा विशेष अधिक है। हास्य व रतिकी जघन्य स्थिति-उदीरणा विशेष अधिक है, ज-स्थिति-उदीरणा विशेष अधिक है। अरति और शोकको जघन्य स्थिति-उदीरणा विशेष अधिक है, ज-स्थिति-उदीरणा विशेष अधिक है। भय और जुगुप्साकी जघन्य स्थिति-उदीरणा विशेष अधिक है, ज-स्थिति-उदीरणा विशेष अधिक है। सोलह कषायोंकी जघन्य स्थितिउदीरणा उतनी मात्र ही है, उन्हींकी ज-स्थिति-उदीरणा विशेष अधिक है। निद्रा और प्रचलाकी जघन्य स्थिति-उदीरणा संख्यातगुणी है, ज-स्थिति-उदीरणा विशेष अधिक है । इस प्रकार नरकगतिमें जघन्य स्थिति-उदीरणादण्डक समाप्त हुआ। तिर्यंचगतिमें सम्यक्त्व, मिथ्यात्व और तिर्यंचआयुकी जघन्य स्थिति-उदीरणा स्तोक है, ज-स्थिति-उदीरणा असंख्यातगुणी है। वैक्रियिकशरीर नामकर्मकी जघन्य स्थिति-उदीरणा असंख्यातगुणी है, ज-स्थिति-उदीरणा विशेष अधिक हैं। यशकीर्तिकी जघन्य स्थिति-उदीरणा विशेष अधिक है, ज-स्थिति-उदीरणा विशेष अधिक है । अयशकीर्तिकी जघन्य स्थिति-उदीरणा विशेष अधिक है, ज-स्थिति-उदीरणा विशेष अधिक है। तिर्यंचगति नामकर्मकी जघन्य स्थिति-उदीरणा विशेष अधिक है. ज-स्थिति-उदीरणा विशेष अधिक है। नीचगोत्रकी जघन्य स्थिति-उदीरणा विशेष अधिक है, ज-स्थिति-उदीरणा विशेष अधिक है। औदारिक, तैजस और कार्मण * तातो ‘ण समवेदस' इति पाठः। कासो ‘स नगुणा ' इति पाठः। Jain Education International For Private & Personal Use Only ___www.jainelibrary.org
SR No.001814
Book TitleShatkhandagama Pustak 15
Original Sutra AuthorBhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Balchandra Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1994
Total Pages488
LanguagePrakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size12 MB
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