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उवक्कमाणुयोगद्दारे ठिदिउदीरणा
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कोडाकोडीओ बेहि आवलियाहि ऊणाओ। उक्कस्सिया द्विदिउदीरणा मोहणीयस्स* सत्तरिसागरोवमकोडाकोडीओ बेहि आवलियाहि ऊणाओ। आउअस्स उक्कस्सिया ठिदिउदीरणा तेत्तीसं सागरोवमाणि एगावलियाए ऊणाणि । एवमुक्कस्सिया ठिदिउदीरणा समत्ता।
जहणिया ठिदिउदीरणा- णाणावरणीय-दसणावरणीय-अंतराइयाणं जहण्णट्ठिदिउदीरणा एया ठ्ठिदी। सा कस्स? समयाहियावलियचरिमसमयखीणकसायस्स। मोहणीयस्स जहणिया ट्ठिदिउदीरणा एगा ठ्ठिदी। सा कस्स? समयाहियावलियचरिमसमयसुहमसांपराइयखवगस्स। वेदणीयस्स जहणिया द्विदिउदीरणा सागरोवमस्स तिणि सत्त भागा पलिदोवमस्स असंखेज्जदिभागेण ऊणा । णामा-गोदाणं जहणिया द्विदिउदीरणा अंतोमुत्तमेत्ता समयूणावलियाए ऊणा, अजोगिअद्धा चरिमफाली च होदि ति भणिदं होदि। आउअस्स जहणिया ट्ठिदिउदीरणा एगा ट्ठिदी । तं कत्थ? मरणकाले समयाहियावलियसेसे । एवं मूलपयडिट्ठिदिउदीरणा समत्ता।
उत्तरपयडीसु उक्कस्सिया ठिदिउदीरणा पंचणाणावरणीय-णवदंसणावरण.यअसादावेयणीय-पंचण्णमंतराइयाणं तीसं सागरोवमकोडाकोडीओ बेहि आवलियाहि
विशेषता यह है कि उनकी उत्कृष्ट स्थितिउदीरणा दो आवलियोंसे हीन बीस कोडाकोडि सागरोपम प्रमाण है। मोहनीय कर्मकी उत्कृष्ट स्थितिउदीरणा दो आवलियोंसे हीन सत्तर कोडाकोडि सागरोपम प्रमाण है। आयु कर्मकी उत्कृष्ट स्थितिउदीरणा एक आवलीसे रहित तेतीस सागरोपम प्रमाण है। इस प्रकार उत्कृष्ट स्थितिउदीरणा समाप्त हुई ।
जघन्य स्थितिउदीरणा- ज्ञानावरणीय, दर्शनावरणीय और अन्तरायकी जघन्य स्थिति उदीरणा एक स्थिति मात्र है। वह किसके होती है ? वह जिसके अन्तिम समयवर्ती क्षीणकषाय होने में एक समय अधिक आवली मात्र शेष रही है उसके होती है। मोहनीयकी जघन्य स्थितिउदीरणा एक स्थिति मात्र है। वह किसके होती है ? वह जिस जीवके अन्तिम समयवर्ती सूक्ष्मसाम्परायिक क्षपक होने में एक समय अधिक आवली मात्र काल शेष रहा है उसके
वेदनीयकी जघन्य स्थिति उदीरणा पल्योपमका असंख्यातवां भाग हीन सागरोपमके तीन बटे सात भाग (3) प्रमाण होती है । नाम और गोत्रकी जघन्य स्थितिउदीरणा एक समय कम आवलीसे हीन अन्तर्मुहूर्त मात्र होती है । अभिप्राय यह कि वह अयोगकेवलीके काल और अन्तिम फालि रूप होती है।।
आयकर्मकी जघन्य स्थितिउदीरणा एक स्थिति मात्र है। वह कहांपर होती है ? वह मरणसमयमें एक समय अधिक आवलीके शेष रहनेपर होती है। इस प्रकार मूलप्रकृतिस्थितिउदीरणा समाप्त हुई।
उत्तर प्रकृतियोंमें पांच ज्ञानावरणीय, नौ दर्शनावरणीय, असातावेदनीय और पांच अन्तरायकी उत्कृष्ट स्थितिउदीरणा दो आवलियों (बन्धावली और उदयावली) से कम तीस कोडाकोडि
ताप्रो 'ट्रिदिउदीरणा । मोहणीयस्स' इति पाठः । Jain Education International
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