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पर लिखी गई है। किन्तु जो प्रति मूडबिद्रीसे महाबंधकी प्रतिके साथ प्राप्त हुई है वह केवल इन्हीं चार अनुयोगद्वारोंपर है । शेषकी खोज करना आवश्यक प्रतीत होता है।
ग्रंथ सम्पादन व प्रकाशनमें श्रीमन्त सेठ लक्ष्मीचन्द्रजी, उनके सुपुत्र राजेंद्रकुमारजी, पं० नाथूरामजी प्रेमी, श्री रतनचंदजी, नेमचंदजी तथा मेरे सहयोगियोंका साहाय्य पूर्ववत् चला आ रहा है जिसके लिए मैं उनका अनुगृहीत हूँ।
प्राकृत जैन विद्यापीठ मुजप्फरपुर, बिहार, १८-४-५७
हीरालाल जैन ( डायरेक्टर, प्राकृत जैन विद्यापीठ, वैशाली)
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