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५, ६, ३४. ) बंधणाणुयोगद्दारे दवबंधपरूवणा।
समणिद्धदा समल्हक्खदा च भेदस्स असंजोगस्स कारणं होदि । गिद्धपरमाणणं णिद्धपरमाणूहि ल्हुक्खपरमाणणं च ल्हुक्खपरमाणहि सह बंधो पत्थि ति भणिद होदि । णिद्धपरमाणहि सह बंधमागवल्हुक्खपरमाण जदि गिद्धगुणेण परिणदा होंति णिद्धपरमाणू वा ल्हुक्खगुणण परिणदा, तो णिच्छएण भेदेण होदवमिदि घेत्तन्वं । एद अत्थं दोहि वि देत्तेहि परूविदं गाहाए फुडीकरणथमुत्तरसुत्तं भणदि
गिद्धणिद्धा ण बज्झंति ल्हुक्खल्हुक्खा य पोग्गला । णिद्धल्हक्खा य बज्झंति रूवारूवी य पोग्गला ॥ ३४ ॥
एदिस्से गाहाए पढमद्धेण 'समणिद्धदा समल्हुक्खदा भेदो ति एदस्स अत्थो परूविदो । णिद्धपरमाण णिद्धपरमाणहि ण बज्झंति, णिद्धगुणभावेण समाणत्तादो। ल्हुक्खा पोग्गला ल्हुक्खपोग्गलेहि सह बंधं णागच्छति, ल्हुक्खगुणभावेण समाणत्तादो । बिदियद्धेण पढमसुत्तद्धं परूवेदि । 'णिद्ध ल्हुक्खा य बझंति' गिद्धा पोग्गला ल्हुक्खा पोग्गला च परोपरं बंधमागच्छंति, विसरिसत्तादो। णिद्धल्हुक्खपोग्गलाणं कि गुणाविभागपडिच्छेदेहि सरिसाणं बंधोहोदि आहो विसरिसाणं बंधो होदि ति पुच्छिदे 'रूवारूवी य पोग्गला बज्झति' ति भणिदं । गणाविभागपडिच्छेदेहि समाणा
__समान स्निग्धता और समान रूक्षता भेद अर्थात् असंयोगका कारण होता है । स्निग्ध परमाणुओंका स्निग्ध परमाणुओंके साथ और रूक्ष परमाणुओंका रूक्ष परमाणुओंके साथ बन्ध नहीं होता, यह उक्त कथन का तात्पर्य है । स्निग्ध परमाणुओंके साथ बन्धको प्राप्त हुए रूक्ष परमाण यदि स्निग्ध गुणरूपसे परिणत होते हैं या स्निग्ध परमाणु रूक्ष गुणरूपसे परिणत होते हैं तो नियमसे उनका भेद हो जाता है, यह अर्थ यहाँ लेना चाहिये । यह अर्थ दोनों ही सूत्रोंके द्वारा कहा गया है । अब गाथा द्वारा इसी अर्थको स्पष्ट करने के लिये आगेका गाथासूत्र कहते हैं
स्निग्ध पुद्गल स्निग्ध पुद्गलोंके साथ नहीं बँधते, रूक्ष पुद्गल रूक्ष पुद्गलोंके साथ नहीं बंधते । किन्तु सदृश और विसदृश ऐसे स्निग्ध रूक्ष पुद्गल परस्पर बँधते हैं।। ३४ ।
इस गाथाके पूर्वार्ध द्वारा समणिद्धदा समल्हुक्खदा भेदो' इस सूत्रका अर्थ कहा गया है। स्निग्ध परमाणु दूसरे स्निग्ध परमाणुओंके साथ नहीं बाँधते, क्योंकि, स्निग्ध गुणकी अपेक्षा वे समान हैं। रूक्ष पुद्गल दूसरे रूक्ष पुद्गलोंके साथ बन्धको नहीं प्राप्त होते, क्योंकि, रूक्ष गुणकी अपेक्षा वे समान हैं।
गाथाके उत्तरार्ध द्वारा प्रथम सूत्रका अर्थ कहते हैं-'णिद्धल्हुक्खा य बझंति' अर्थात् स्निग्ध पुद्गल और रूक्ष पुद्गल परस्पर बन्धको प्राप्त होते हैं, क्योंकि, इनमें विसदृशता पाई जाती है क्या गुणोंके अविभागप्रतिच्छेदोंकी अपेक्षा समान स्निग्ध और रूक्ष पुद्गलोंका बन्ध होता है या अविभागप्रतिच्छेदोंकी अपेक्षा विसदृश स्निग्ध और रूक्ष पुद्गलोंका बन्ध होता है, ऐसा प्रश्न करने पर 'रूवारूवी य पोग्गला बझंति' यह कहा है । जो स्निग्ध और रूक्ष गुणोंसे युक्त पुद्गल गुणोंके
अ. काप्रत्योः 'मागणहि बज्झति, 'आप्रतौ 'माणूहि बझंति ' इति पाठः । * प्रतिष 'सरिसाणं गिद्धल्हुक्खापोग्गलाणं बंधो' इति पाठः ।
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