SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 491
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४५८ ) छक्खंडागमे वाणा-खं ( ५, ६, ५५२ सेडीए असंखेज्जदिभागो। तस्सेव जहण्णयस्स उक्कस्सओ विस्सासुवचओ असंखेज्जगुणो। को गणगारो? पलिदोवमस्स असंखेज्जदिभागो। तस्सेव उक्कस्सयस्स जहण्णओ विस्तासुवचओ असंखेज्जगणो । को गणगारो ? पलिदोवमस्स असंखेज्जदिभागो। तस्सेव उक्कस्सओ विस्तासुवचओ असंखेज्जगणो । को गुणगारो ? पलिदोवमस्स असंखेज्जविभागो। आहारसरीरस्स जहण्णयस्स जहण्णओ विस्सासुवचओ असंखेज्जगणो । को गुणगारो? सेडीए असंखेज्जदिभागो । तस्सेव उक्कस्सओ विस्सासुवचओ असंखेज्जगणो। को गुणगारो? पलिदोवमस्त असंखेज्जदिभागो। तस्सेव उक्कस्सयस्स जहण्णओ विस्सासुवचओ असंखेज्जगुणो। को गणगारो? पलिदोवमस्स असंखेज्जदिभागो । तस्सेव उक्कस्सयस्स उक्कस्सओ विस्सासुवचओ असंखेज्जगणो । को गुणगारो? पलिदोवमस्स असंखेज्जदिभागो। तेजासरीरस्स जहण्णयस्स जहण्णओ विस्सासुवचओ अणंतगुणो। को गणगारो ? अभवसिद्धिएहि अणंतगणो सिद्धाणमणंतभागो। तस्सेव उक्कस्सओ विस्सासुवचओ असंखेज्जगणो । को गुणगारो? पलिदोवमस्स असंखेज्जदिभागो। तस्सेव उक्कस्सयस्स जहग्णओ विस्सासुवचओ असंखेज्जगुणो । को गणगारो ? पलिदोवमस्स असंखेज्जविभागो । तस्सेव उक्कस्सओ विस्सासुवचओ असंखेज्जगुणो । को गुणगारो ? पलिदोवमस्स असंखेज्जविभागो । कम्मइयसरीरस्स जहण्णयस्स जहण्णओ विस्सासुवचओ अणंतगणो । को गणगारो ? अभवसिद्धिएहि जघन्यका जघन्य विस्रसोपचय असंख्यातगुणा है । गुणकार क्या है ? जगश्रेणिके असंख्यातवें भागप्रमाण गुणकार है। उसीके जघन्यका उत्कृष्ट विनसोपचय असंख्यतागुणा है । गुणकार क्या है? पल्यके असंख्यातवें भागप्रमाण गणकार है। उसीके उत्कृष्टका जघन्य विस्रसोपच असंख्यातगुणा है। गुगकार क्या है ? पल्यके असंख्यातवें भागप्रमाण गुणकार है। उसीका उत्कृष्ट विस्रसोपचय असंख्यातगणा है। गुणकार क्या है ? पल्यके असख्यान गणकार है। आहारकशरीरके जघन्यका जघन्य विनसोपचय असंख्यातगणा है। । गुणकार क्या है ? जगश्रेणिके असंख्यातवें भागप्रमाण गणकार है। उसीका उत्कृष्ट विनसोपचय असंख्यातगुणा है। गुणकार क्या है ? पल्यके असंख्यातवें भागप्रमाण गुणकार है। उसी के उत्कृष्ट का जघन्य विनसोपचय असंख्यातगुणा है। गुणकार क्या है ? पल्यके असंख्यातवें भागप्रमाण गुणकार है। उसीके उत्कृष्ट का उत्कृष्ट विस्रसोपचय असंख्यातगुणा है । गुणकार क्या है ? पल्यके असंख्यातवें भागप्रमाण गुणकार है। तैजसशरीरके जघन्यका जघन्य विस्रसोपचय अनन्तगुणा है। गुणकार क्या है ? अभव्योंसे अनन्तगुणा और सिद्धोंके अनन्तवें भागप्रमाण गुणकार है । उसीका उत्कृष्ट विनसोपचय असंख्यातगुणा है। गुणकार क्या है ? पल्यके असंख्यातवें भागप्रमाण गुणकार है। उसीके उत्कृष्टका जघन्य विस्रसोपचय असंख्यातगुणा है। गुणकार क्या है ? पल्यके असंख्यातवें भागप्रमाण गुणकार है । उसीका उत्कृष्ट विस्रसोपचय असंख्यातगुणा है। गुणकार क्या है ? पल्यके असंख्यातवें भागप्रमाण गुणकार है। कार्मणशरीरके जघन्यका जघन्य विस्रसोपचय अनन्तगुणा है। गुणकार क्या है ? अ० का० प्रत्यो: ' अणंतगुणो तस्सेव ' इति पाठ। । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.
SR No.001813
Book TitleShatkhandagama Pustak 14
Original Sutra AuthorBhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Balchandra Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1994
Total Pages634
LanguagePrakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy