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५, ६, ३९७ ) बंषणाणुयोगद्दारे सरीरपरूवणाए णिसेयअप्पाबहुअं ( ३८९ को गुणगारो ? पलिदो० असंखे० भागो । एवं जहण्णपदप्पाबहुअं समत्तं ।
उक्कस्सपरेण सव्वत्थोवाणि आहारसरीरस्स गाणापदेसगुणहाणिट्ठाणंतराणि ॥३९४॥
कुदो ? संखेज्जरूवत्तादो।
कम्मइयसरीरस्स णाणापदेसगुणहाणिट्ठाणंतराणि असंखेज्जगुणाणि ॥३९५॥
को गुणगारो ? पलिदो० असंखे०भागो।
तेजासरीरस्स गाणापदेसगुणहाणिट्ठाणंतराणि असंखेज्जगुणाणि ॥३९६॥
को गण० ? पलिदो० असंखे० भागो। कुदो ? तेजासरीरस्स एगगणहाणि*अदाणादो असंखेज्जपलिदोवमपढमवग्गमलमेत्तादो कम्मइयसरीरएगगणहाणिअद्धास्स असंखेज्जगुणत्तादो।
ओरालियसरीरस्स गाणापदेसगुणहाणिट्ठाणंतराणि असंखेज्जगुणाणि ॥३९७॥
गुणकार क्या है ? पल्यके असंख्यातवें भागप्रमाण गुणकार है।
इसप्रकार जघन्यपदकी अपेक्षा अल्पबहुत्व समाप्त हुआ । उत्कृष्ट पदको अपेक्षा आहारकशरीरके नानाप्रदेशगुणाहानिस्थानान्तर सबसे स्तोक हैं ॥३९४॥
__ क्योंकि, उनका प्रमाण संख्यात है। उनसे कार्मणशरीरके नानाप्रदेशगणहानिस्थानान्तर असंख्यातगणे हैं ।।३९५।।
गुणकार क्या है ? पल्यके असंख्यातवें भागप्रमाण गुणकार है। उनसे तैजसशरीरके नानाप्रदेशगणहानिस्थानान्तर असंख्यातगणे हैं ।।३९६॥
गुणकार क्या है ? पल्यके असंख्यातवें भागप्रमाण गुणकार है, क्योंकि, असंख्यात पल्योंके प्रथम वर्गमूलप्रमाण तेजसशरीरके एकगुणहानि अध्वानसे कार्मणशरीरकी एकगुणहानिका अध्वान असंख्यातगुणा है।
उनसे औदारिकशरीरके नानाप्रवेशगुणहानिस्थानान्तर असंख्यातगणे हैं ।।३९७॥
* ता० प्रती ' तेजासरीरस्स णाणागुणहाणि- ' इति पाठ।)
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