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________________ बंघणाणुयोगद्दारे सरीरपरूवणाए पदेसविरओ व्वित्तिट्ठाणाणि असंखेज्जगुणाणि ॥ २९७ ॥ को गुणगारो ? पलिदो० असंखे० भागो । कुदो ? जहणणिव्वत्तिद्वाणादो समउत्तराविकमेण निरंतरं जाव तिष्णि पलिदोवमाणि ति णिव्वत्तिद्वाणाणं बुड्डिसणादो । पुव्वकोडीए उवरि कथं निरंतरवड्ढी लब्भदे ? ण, उस्सप्पिणिकालमस्सिदूग भरहएरावदमणुस्सेसु पुव्वकोडीए उवरि समउत्तरादिकमेण निरंतरं तिष्णि पलिदोवमाणि वुडिदंसणादो | १० || ५, ६, ३०० ) जीवणियट्ठाणाणि विसेसाहियाणि ॥ २९८ ॥ केत्तियमेत्तेण ? आवलि० असंखे० भागेण जहण्णणिव्वत्तिद्वाणस्स संखेज्जेहि भागेहि वा । एत्थ कारणं जाणिय वत्तव्वं । ११ । । उक्कस्सिया णिव्वत्ती विसेसाहिया ॥ २९९ ॥ ( ३५९ केत्तियमेत्तेण ? कदलीघावजहण्णिदसव्वजहण्णजीवणकालमेत्तेण । १२ । । सव्वत्थोवा उववादिमस्स जहणिया पज्जत्तणिव्वत्ती ||३००॥ कुदो? दसवस्ससहस्सपमाणत्तादो । १३ । । उससे निर्वृत्तिस्थान असंख्यातगुणे हैं । २९७ । गुणकारका प्रमाण कितना है ? पल्यके असंख्यातवें भागप्रमाण गुणकारका प्रमाण है' क्योंकि, जघन्य निर्वृत्तिस्थानसे लेकर एक समय अधिक आदिके क्रमसे निरन्तर तीन पल्य प्रमाण कालतक निर्वृत्तिस्थानोंकी वृद्धि देखी जाती है । शंका -- पूर्वकोटि कालके ऊपर निरन्तर वृद्धि कैसे सम्भव है ? समाधान -- नहीं, क्योंकि, उत्सर्पिणी कालका आश्रय लेकर भरत और ऐरावत क्षेत्रके मनुष्यों में पूर्वकोटिके ऊपर एक समय अधिक आदिके क्रमसे तीन पत्यप्रमाण कालतक निरन्तर वृद्धि देखी जाती है । उनसे जीवनीयस्थान विशेष अधिक हैं । २९८ । कितने अधिक है ? आवलिके असंख्यातवें भागप्रमाण अधिक हैं । अथवा जघन्य निर्वृत्तिस्थानके संख्यात बहुभागप्रमाण अधिक हैं । यहाँ पर कारणका कथन जानकर करना चाहिए । उनसे उत्कृष्ट निर्वृत्ति विशेष अधिक है । २९९ । कितनी अधिक है ? कदलीघातके कारण जो सबसे जघन्य जीवनकाल उत्पन्न होता है उतनी अधिक है । औपपादिक जन्मवालेकी जघन्य पर्याप्त निर्वृत्ति सबसे स्तोक है । ३०० ॥ क्योंकि, वह दस हजार वर्षप्रमाण है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001813
Book TitleShatkhandagama Pustak 14
Original Sutra AuthorBhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Balchandra Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1994
Total Pages634
LanguagePrakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size15 MB
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