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________________ ५, ६, २५६ ) बंधणाणुयोगद्दारे सरीरपरूवणाए पदेसपमाणाणुगमो एदेण संखेज्जासंखेज्जाणं पडिसेहो कदो। सेसं सुगमं । जं विदियसमए पदेसग्गं णिसित्तं तं केवडिया । २५१ । अभवसिद्धिएहि अणंतगुणो सिद्धाणमणंतभागो । २५२ । जं तदियसमए पदेसग्गं णिसित्तं तं केवडिया ॥ २५३ ॥ अभवसिद्धिएहि अणंतगुणो सिद्धाणमणंतभागो ॥ २५४ ॥ एदाणि सुत्ताणि तिण्णं पि सरीराणं परिवाडीए जोजेयवाणि । एवं जाव उक्कस्सेण तिण्णिपलिदोवमाणि तेत्तीससागरोवमाणि अंतोमुहुत्तं ।। २५५ ॥ एवं तिष्णिं पि सरीराणं टिदि पडि णिसित्तपदेसाणं परिवाडीए पमाणपरूवणा कायव्वा । ओरालियसरीरस्स जावुक्कस्सेण तिणि पलिदोवमाणि त्ति, वेउवियसरीरस्स तेत्तीसं सागरोवमाणि त्ति, आहारसरीरस्स अतोमहत्तं ति । तेजा-कम्मइयसरीरिणा तेजा-कम्मइयसरीरत्ताए जं पढमसमए पदेसग्गं णिसितं तं केवडिया ।। २५६ ।। इसके द्वारा संख्यात और असंख्यातका प्रतिषेध किया है। शेष कथन सुगम है । जो प्रदेशाग्र द्वितीय समयमें निषिक्त होता है बह कितना है ।। २५१ ॥ अभव्योंसे अनन्तगणा और सिद्धोंके अनन्तवें भागप्रमाण है ॥ २५२ ॥ जो प्रदेशाग्र तृतीय समयमें निषिक्त होता है वह कितना है ।।२५३॥ अभव्योंसे अनन्तगुणा और सिद्धोंके अनन्तवें भागप्रमाण है ॥२५४॥ इन सूत्रोंकी तीनों ही शरीरोंके विषयमें यथाक्रमसे योजना करनी चाहिए । इसप्रकार उत्कृष्टरूपसे तीन पल्य, तेत्तीस सागर अन्तर्मुहूर्त काल तकके निषेकोंका प्रमाण जानना चाहिए ।।२५५॥ इसप्रकार तीनों ही शरीरोंकी स्थितिके प्रति निषिक्त हुए प्रदेशोंकी प्रमाणप्ररूपणा यथाक्रमसे करनी चाहिए । यथा- उत्कृष्टरूपसे औदारिकशरीरके तीन पल्यप्रमाण, वैक्रियिकशरीरके तेतीत सागरप्रमाण और आहारकशरीरके अन्तर्महुर्त प्रमाण काल तक विषिक्त हुए प्रदेशोंकी प्रमाण प्ररूपणा करनी चाहिए। तैजसशरीरवाले और कार्मणशरीरवाले जीवके द्वारा तैजसशरीर और कार्मण शरीररूपसे जो प्रदेशाग्र प्रथम समय में निषिक्त होता है वह कितना है ॥२५६।। ४ ता० प्रती · जोजे यत्रो ( ब्याणि ) ' इति पाठः । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001813
Book TitleShatkhandagama Pustak 14
Original Sutra AuthorBhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Balchandra Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1994
Total Pages634
LanguagePrakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size15 MB
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