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२००) छक्खंडागमे वग्गणा-खंड
( ५, ६, ११६ हेटिमविरलणं रूवणं गंतूण जदि एगपक्खेवसलागा लब्भदि तो उवरिमविरलणाए कि लभामो त्ति पमाणेण फलगणिदिच्छाए ओवट्टिदाए तिण्णं गणहाणीणं चउभागो लब्भदि । तम्हि उवरिमविरलणाए पक्खित्ते इच्छिददवभागहारो होदि ।
चउप्पदेसियदव्वपमाणेण सव्वदव्वं केवचिरेण कालेण अवहिरिज्जदि ? परमाणुवग्गणभागहारस्स च उभागेण सादिरेगेण । तं जहा- परमाणुवग्गणभागहारस्स चउभागं विरलेदूण सव्वदवे समखंड करिय दिण्णे रूवं पडि परमाणवग्गणदव्वं चउग्गणं पावदि । पुणो चडिदखाणदुगुणसंकलणमेत्तपक्खेवाणं अवणयणं कस्सामो। तं जहा- दोगुणहाणितिभागं विरलिय उवरिमेगरूवधरिदे समखंड करिय दिण्णे रूवं पडि बारह बारह पक्खेवा पावेंति । तेसु उवरिमरूवधरिदेसु अवणिदेसु सेसमिच्छिदपमाणं होदि । हेट्टिमविरलणं रूवणं गंतूण जदि एगा पक्खवसलागा लन्मदि तो उवरिमविरलणाए किं लभामो त्ति पमाणेण फलगणिदिच्छाए ओट्टिदाए सत्तावीसगणहाणीणं बत्तीसदिमभागो आगच्छदि । तम्मि उवरिमविरलणाए पक्खित्त इच्छिददव्वभागहारो होदि । एवं प्रेयव्वं जाव जवमझं ति ।
जवमज्झस्सुवरि अणंतरपमाणेण सव्वदव्वं केवचिरेण कालेण अवहिरिज्जदि यदि एक प्रक्षेपशलाका प्राप्त होती है तो उपरिम विरलनमें क्या प्राप्त होगा, इस प्रकार फल राशिसे गुणित इच्छाराशिमें प्रमाणराशिका भाग देनेपर तीन गुणहानियोंका चतुर्थ भाग आता है । उसे उपरिम विरलनमें मिलानेपर इच्छित द्रव्यका भागहार होता है (३३४४८ - ६७२ = ४९ = १३० +३४८ : ४३ + ६ : ४९ )।
चतुःप्रदेशी द्रव्य के प्रमाणसे सब द्रव्य कितने कालके द्वारा अपहृत होता है ? परमाणुवर्गणा भागहारके साधिक चतुर्थ भाग द्वारा अपहृत होता है । यथा- परमाणुवर्गणा भागहारके चतुर्थ भागका विरलन करके उस विरलित राशिपर सब द्रव्यके समान खण्ड करके देयरूपसे देनेपर प्रत्येक विरलन अङ्कके प्रति परमाणुवर्गणाका द्रव्य चौगुना प्राप्त होता है । पुनः जितने स्थान आगे गये हैं। उनके दूने के संकलनमात्र प्रक्षेपोंका अपनयन करते हैं । यथा- दो गुणहानियोंके त्रिभागका विरलत करके ऊपर एक विरलन अङ्कके प्रति प्राप्त द्रव्यको समान खंड करके देयरूपसे देनेपर प्रत्येक विरलन अंकके प्रति बारह बारह प्रक्षेप प्राप्त होते हैं। उन्हें उपरिम विरलनके प्रति प्राप्त द्रव्यमेंसे घटा देनेपर शेष इच्छित द्रव्यका प्रमाण होता है। एक कम अधस्तन विरलनमात्र स्थान जाकर यदि एक प्रक्षेपशलाका प्राप्त होती है तो उपरिम निरलनमें क्या प्राप्त होगा, इसप्रकार फलराशिसे गुणित इच्छाराशिमें प्रमाणराशिका भाग देनेपर सत्ताईस गुणहानियोंका बत्तीसवां भाग आता है । उसे उपरिम विरलनमें मिलानेपर इच्छितद्रव्यका भागहार होता है। इस प्रकार यवमध्यके प्राप्त होने तक ले जाना चाहिए (३३४४८ : ८३२ = ४० = १३० +२७४८ = ३२' +६३ : ३९ )1
यवमध्यके ऊपर अनन्तर प्रमाणसे सब द्रव्य कितने काल द्वारा अपहृत होता है ? साधिक
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