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________________ १७६ ) छक्खंडागमे वग्गणा-खंड को गुणगारो? अभवसिद्धिएहि अणंतगुणो सगअण्णोण्णभत्थरासो गुणगारो। कुदो? एदिस्से अगहणदव्ववग्गणाए अभवसिद्धिएहि अणंतगुण-सिद्धाणमणंतभागमेत्तणाणागणहाणिसलागवलंभादो । एदासिमण्णोण्णभत्थरासी सिद्धेहितो किमतगणो कि वा अणंतगुणहीणो होदि ति ण णव्वदे, विसिट्ठवदेसाभावादो । मणदव्ववग्गणासु णाणासेडिसव्वदव्वा अणंतगणा । को गणगारो ? मणदवगुणहाणिसलागाणमण्णोण्णब्भत्थरासी। मणदव्ववग्गणाए हेट्ठिमअगहणवग्गणासु णाणासेडिसव्वदव्वा अणंतगणा। को गुण ? अगहणगुणहाणिसलागण्णोण्णब्भस्थ रासी। भासादव्ववग्गणासु णाणासेडिसव्वदव्वा अणंतगुणा । को गण० ? भासावग्गणागुणहाणिसलागण्णोण्णब्भत्थरासी।। भासावग्गणाए हेढा तदणंतरअगहणदव्यवग्गणासु णाणासेडिसव्वदव्वा अणंत - गुणा । को गुणगारो ? सगगुणहाणिसलागण्णोण्णभरासी।। तेजइयवग्गणासु गाणासेडिसव्वदन्वा अणंतगुणा । को गुण ? तेजावग्गणगुणहाणिसलागण्णोण्णभत्थरासी । तेजइयस्स हेट्ठिमतदणंतरअगहणदबवग्गणासु णाणासेडिसव्वदव्वा अणंतगुणा। को गुणगारो ? अगहणवग्गणगुणहाणिसलागाणमण्णोण्णभत्थरासी। गुणकार क्या है ? अभव्योंसे अनन्तगणी अपनी अन्योन्याभ्यस्त राशि गुणकार है, क्योंकि, इस अग्रहणद्रव्यअर्गणाकी अभव्योंसे अनन्तगुणी और सिद्धोंके अनन्तवें भागप्रमाण नाना गुणहानिशलाकायें पाई जाती हैं। इनकी अन्योन्याभ्यस्तराशि सिद्धोंसे क्या अनन्तगुणी है या अनन्तगुणी हीन है यह नहीं जाना जाता है, क्योंकि, इस विषयमें विशिष्ट उपदेशका अभाव है। ___ मनोद्रव्यवर्गणाओंमें नानाश्रेणि सब द्रव्य अनन्तगुणे हैं । गुणकार क्या है ? मनोद्रव्यवर्गणाओंकी गुणहानिशलाकाओंकी अन्योन्याभ्यस्त राशि गुण कार है। मनोद्रव्यवर्गणासे पूर्व अग्रहणद्रव्यवर्गणाओंमें नानाश्रेणि सब द्रव्य अनन्तगुणे हैं । गुणकार क्या है ? अग्रहण गुणहानिशलाकाओं को अन्योन्याभ्यस्त गुणकार है। भाषाद्रव्यवर्गणाओंमें नानाश्रेणि सब द्रव्य अनन्तगुणे हैं । गुणकार क्या है ? षावर्गणाओंका गुणहानिशलाकाओंकी अन्योन्याभ्यस्तराशि गुणकार है। भाषावर्गणासे पूर्व उसकी अनन्तरवर्ती अग्रहणद्रव्यवर्गणाओमें नानाश्रेणि सब द्रव्य अनन्तगुणे हैं। गुणकार क्या है? अपनी गुण हानिशलाकाओंकी अन्योन्याभ्यस्त राशि गुणकार है । तैजसशरीरवर्गणाओंमें नानाश्रेणि सब द्रव्य अनन्तगुणे हैं । गुणकार क्या है ? तैजसवर्गणाकी गुणहानिशलाकाओंकी अन्योन्याभ्यस्त राशि गुणकार है। तैजसशरीरसे पूर्व उसकी अनन्तरवर्ती अग्रहणद्रव्यवर्गणाओंमें नानाश्रेणि सब द्रव्य अनन्तगुणे हैं । गुणकार क्या है ? अग्रहणवर्गणाको गुणहानिशलाकाओंकी अन्योन्याभ्यस्त राशि गुणकार है। ता० प्रती · गुणगारो ? आहार ( अगहण ) वग्गण ' इति पाठः । For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.001813
Book TitleShatkhandagama Pustak 14
Original Sutra AuthorBhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Balchandra Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1994
Total Pages634
LanguagePrakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size15 MB
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