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________________ १२२ ) छक्खंडागमे वग्गणा-खंड ... जेण एयपदेसियपरमाणुपोग्गलाणं दोण्हं समृदयसमागमेण दुपदेसियवग्गणा होदि तेणेसा हेटिल्लीणं संघादेण होदि । उवरिल्लीणं भेदेण वि होदि । तं जहातिपदेसियवग्गणाए एगपरमाणुपोग्गले विरोहिगणपादुब्भावेण भेदं गदे दुपदेसि यदव्व. वग्गणा होदि । चदुपदेसियखंधादो दोसु परमाणुपोग्गलेसु विरोहिगुणपादुब्भावेण भेदं गदेसु दुपदेसियवग्गणा होदि । पंचपदेसियखंधादो तिसु परमाणपोग्गलेसु भेदं गदेसु दुपदेसियवग्गणा होदि । एवमुवरिमसनवग्गणाणं भेदेग दुपदेसियवग्गणाए उप्पत्ती वत्तव्वा । तिपदेसियादिवग्गणाणं भेदेण दुपदेसियवग्गणा उप्पज्जदि त्ति कट्ट उवरि •ल्लीणं दवाणं भेदेण ति भणिदं। एयपदेसियवग्गणाणं दोण्णं समुदयसमागमेणेव दुपदेसियवग्गणा समुप्पज्जदि त्ति हेढिल्लोणं दवाणं संघादेणे त्ति भणिदं। दुपदेसियबेखंधा भेदं गंतूण जदा पुश्व संबद्धपरमाणुणा अण्णेण वा समागममागदा होंति तदा दुपदेसियवग्गणा सत्थाणेण भेदसंघादेण उप्पण्णे ति भण्णदि। दुपदेसि यवग्गणा भेद गदा संती एयपदेसियवग्गणा होदि। पुणो ताणं दोण्णं परमाणूणं समुदयसमागमेण उप्पणा दुपदेसियवग्गणा हेदिल्लीणं दवाणं संघादेण समुप्पणे ति सस्थाणेण भेदसंघादेण दुपदेसियवग्गणाए उप्पत्ती होदि त्ति जं भणिदं तण्ण घडदे ? एत्थ परिहारो वुच्चदे । तं जहा- अवयवविभागो उप्पण्णो संतो अवयवसंजोगविणासं कुणदि णाणुप्पण्णो, णिरहेउअस्स कज्जस्स उप्पत्तिविरोहादो । तदो अवयवविभा यतः दो एकप्रदेशी परमाणुपुद्गलोंके समुदयसमागमसे द्विप्रदेशो वर्गणा होती है, इसलिए यह नीचे की वर्गणाओंके संघातसे होती है । ऊपरकी वर्गगाओंके भेदसे भी होती है । यथा-त्रिप्रदेशी वर्गणामें एक परमाणु पुद्गलके विरोधी गुणके उत्पन्न होनेसे भेदको प्राप्त होने पर द्विप्रदेशी द्रव्यवर्गणा उत्पन्न होती है । चार प्रदेशी स्कन्धसे दो परमाणु पुद्गलोंके विरोधी गुणके उत्पन्न होनेसे भेदको प्राप्त होनेपर द्विप्रदेशी वर्गणा उत्पन्न होती है । पञ्चप्रदेशी स्कन्ध से तीन परमाणु पुद्गलोंके भेदको प्राप्त होनेपर द्विप्रदेशी वर्गणा उत्पन्न होती है । इस प्रकार उपरिम सब वर्गणाओंके भेदसे द्विप्रदेशी वर्गणाकी उत्पत्ति कहनी चाहिए । त्रिप्रदेशी आदि वर्गणाओंके भेदसे द्विप्रदेशी वर्गणाकी उत्पत्ति होती है ऐसा समझकर 'ऊपरके द्रव्योंके भेदसे ' यह वचन कहा है । एकप्रदेशी दो वर्गणाओंके समुदयसमागमसे द्विप्रदेशी वर्गणा उत्पन्न होती है इसलिए 'नीचेके द्रव्योंके संघातसे' यह वचन कहा है । द्विप्रदेशी दो स्कन्ध भेदको प्राप्त होकर जब पूर्व सम्बद्ध परमाणुके साथ या अन्य परमाणु के साथ समागमको प्राप्त होते हैं तब द्विप्रदेशी वर्गणा स्वस्थानमें भेद-सघातसे उत्पन्न होती है ऐसा कहा है। शंका- द्विप्रदेशी वर्गणा भेदको प्राप्त होकर एकप्रदेशी वर्गणा होती है । पुनः उन दो परमाणओंके समुदयसमागमसे उत्पन्न हुई द्विप्रदेशी वर्गणा नीचेके द्रव्योंके संघातसे उत्पन्न हुई है इसलिए स्वस्थान में भेद-संघातसे द्विप्रदेशी वर्गणा उत्पन्न होती है ऐसा जो कहा है वह नहीं बनता है ? समाधान-यहां इस शंकाका परिहार करते हैं । यथा-- अवयवोंका विभाग उत्पन्न होकर वह अवयवोंके संयोगका विनाश करता है, अनुत्पन्न होकर नहीं, क्योंकि, अहेतुक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001813
Book TitleShatkhandagama Pustak 14
Original Sutra AuthorBhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Balchandra Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1994
Total Pages634
LanguagePrakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size15 MB
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