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________________ ५, ३, २८. ) फासाणुओगद्दारे बंधफासो तेयासरीरणोकम्मपदेसा चउग्गईसु तेयासरीरणोकम्मपदेसेहि फुसिज्जंति ।। तेयासरीरणोकम्मपदेसा तिरिक्ख-मणुस्सेसु ओरालियतरीरणोकम्मपदेसेहि फुसिज्जंति ।२। तेयासरीरणोकम्मपदेसा देव-णेरइएसु वेउव्वियसरीरणोकम्मपदेसेहि फुसिज्जंति।३। तेयासरीरणोकम्मपदेसा पमत्तसंजदेसु आहारसरीरणोकम्मपदेसेहि फुसिज्जंति । ४। तेयासरीरणोकम्मपदेसा चउग्गईसु कम्मइयसरीरकम्मपदेसेहि फुसिज्जति। ५। एवं तेयासरीरस्स पंच भंगा होति । एदेसु पुव्वभंगेसु पक्खि तेसु अट्ठारस भंगा होति । १८॥ ___ कम्मइयसरीरकम्मपदेसा चउग्गईसु कम्मइयसरीरकम्मपदेसेहि फुसिज्जति ।। कम्मइयसरीरकम्मपदेसा तिरिक्ख-मणुस्सेसु ओरालियसरीरणोकम्मपदेसेहि फुसिज्जति ।२। कम्मइयसरीरकम्मपदेसा देव-णेरइएसु वे उव्वियसरीरणोकम्मपदेसेहि फुसिज्जति ।३। कम्मइयसरीरकम्मपदेसा पमत्तसंजदट्ठाणे आहारसरीरणोकम्मपदेसेहि फुसिज्जंति ।४। कम्मइयसरीरकम्मपदेसा चउग्गईसु तेयासरीरणोकम्मपदेसेहि फुसिज्जंति ।५। एवं कम्मइयसरीस्स पंच भंगा। एदेसु पुव्वभंगेसु पक्खित्तेसु तेवीसभंगा होति ।२३। एदेसु अपुण,रुत्तभंगा चोद्दस हवंति ।१४। अवसेसा णव पुणरत्तभंगा ।९। एवं तैजस सरीर नोकर्म प्रदेश चारों गतियोंमें तैजस सरीर नोकर्म प्रदेशों के द्वारा स्पर्श किये जाते हैं । ११ तेजस शरीर नोकर्म प्रदेश तिर्यंच और मनुष्योंमें औदारिक शरीर नोकर्म प्रदेशोंके द्वारा स्पर्श किये जाते हैं । २। तैजस शरीर नोकर्म प्रदेश देव और नारकियों में वैक्रियिक शरीर नोकर्म प्रदेशों द्वारा स्पर्श किये जाते हैं । ३ । तैजस शरीर नोकर्म प्रदेश प्रमत्तसंयत जीवोंमें आहारक शरीर नोकर्म प्रदेशों द्वारा स्पर्श किये जाते हैं ।४। तैजस शरीर नोकर्म प्रदेश चारों गतियोंमें कार्मण शरीर कर्म प्रदेशों द्वारा स्पर्श किये जाते हैं । ५। इस प्रकार तैजस शरीरके पांच भंग होते हैं । इन्हें पहिलेके १३ भंगोंमें मिलानेपर अठारह भंग होते हैं । १८॥ कार्मण शरीर कर्म प्रदेश चारों गतियोंमें कार्मण करीर कर्मप्रदेशों द्वारा स्पर्श किये जाते है ।१। कार्मण शरीर कर्मप्रदेश तिर्यच और मनुष्योंमें औदारिक शरीर नोकर्म प्रदेशों द्वारा स्पर्श किये जाते हैं ।२। कार्मण शरीर कर्म प्रदेश देव और नारकियोंमें वैक्रियिक शरीर नोकर्म प्रदेशों द्वारा स्पर्श किये जाते हैं ।३। कार्मण शरीर कर्म प्रदेश प्रमत्तसयत गुणस्थानमें आहारक शरीर नोकर्म प्रदेशों द्वारा स्पर्श किये जाते हैं ।४। कार्मण शरीर कर्म प्रदेश चारों गतियोंमें तैजस शरीर नोकर्म प्रदेशों द्वारा स्पर्श किये जाते हैं ।५। इस प्रकार काम ग शरीरके पांच भंग होते हैं । इन्हें पहले के १८ भंगोंमें मिलानेपर तेबीस भंग होते है ।२३। इनमें अपुनरुक्त भंग चौदह होते हैं । १४ । अवशेष नौ भंग पुनरुक्त होते हैं।९। * तापतो 'सरीरे (पदेरो) हि' इति पाठः 8ताप्रती ' सरीरणोकम्म' इति पाठः । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org Jain Education International
SR No.001812
Book TitleShatkhandagama Pustak 13
Original Sutra AuthorBhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Balchandra Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1993
Total Pages458
LanguagePrakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size11 MB
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