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५, ५, ५९.) पडिअणुओगद्दारे जहण्णुक्कस्सोहिणाणसामित्तं ( ३२७ णव्वदे ? " गाउअं महत्तंतो। जोयण भिण्णमहत्तं "त्ति एदम्हादो सुत्तादो णवदे। जहण्णुक्कस्सओहिणाणीणं सामित्तपदुप्पायणट्ठमुत्तरसुत्तं भणदि---
उक्कस्स माणुसेसु य माणुस-तेरिच्छए जहण्णोही । उक्कस्स लोगमेत्तं पडिवादी तेण परमपडिवादी ॥ १७ ॥
'उक्कस्स माणुसेसु य' उक्कस्सओहिणाणं तिरिक्खेसु देवेसु रइएसु वा ण होदि, किंतु मणुस्सेसु चेव होदि । च-सद्दो अवृत्तसमुच्चयट्ठो। तेण कि लद्धं ? उक्कस्समोहिणाणं महारिसीणं चेव होदि त्ति समुवलद्धं । 'माणस-तेरिच्छए जहण्णोही' जहण्णमोहिणाणं देव-णेरइएसु ण होदि, किंतु मणस्स-तिरिक्खसम्माइट्ठीसु चेव होदि। एगघणलोगेण ओरालियसरीरम्मि भागे हिदे जं भागलद्धं. तं जहण्णोहिणाणेण विसईकयदव्वं होदि। खेत पुण अंगुलस्स असंखेज्जदिभागो होतो वि सव्वजहण्णोगाहणमेत्तो। जहण्णोहिकालो आवलियाए असंखेज्जविभागो। एतो प्पहुडि उवरिमसम्ववियप्पा तिरिक्ख-मणुस्सेसु वेयणाए वुत्तविहाणेण* णेदव्वा जाव अप्पप्पणो उक्कस्सदव्व-खेत्त-काला ति* । णवरि तिरिक्खेसु
___ समाधान-- वह — गाउअं मुहुत्तंतो। जोयणभिण्णमुहुत्तं ' इस सूत्र (गाथासूत्र ५) से जाना जाता है।
अब जघन्य और उत्कृष्ट अवधिज्ञानियोंके स्वामित्वका कथन करनेके लिए आगेका सूत्र कहते हैं।
उत्कृष्ट अवधिज्ञान मनुष्योंके तथा जघन्य अवधिज्ञान मनुष्य और तिर्यंच दोनोंके होता है। उत्कृष्ट क्षेत्र लोक प्रमाण है। यह प्रतिपाती है, इससे आगेके अवधिज्ञान अप्रतिपाती हैं ॥ १७ ॥
__ 'उक्कस्स माणुसेसु य' अर्थात् उत्कृष्ट अवधिज्ञान तिर्यंच, देव और नारकियोंके नहीं होता; किन्तु मनुष्योंके ही होता है । 'च' शब्द अनुक्त अर्थका समुच्चय करने के लिए आया है। इससे क्या लब्ध होता है ? इससे यह लब्ध होता है कि उत्कृष्ट अवधिज्ञान महा ऋषियोंके ही होता है। जघन्य अवधिज्ञान देव और नारकियोंके नहीं होता, किन्तु सम्यग्दृष्टि मनुष्य और तिर्यंचोंके ही होता है। एक घनलोकका औदारिकशरीरमें भाग देनेपर जो भागलब्ध आता है वह जघन्य अवधिज्ञानका विषयभूत द्रव्य होता है। परन्तु क्षेत्र अंगुलके असंख्यातवें भाग प्रमाण होकर भी सबसे जघन्य अवगाहना प्रमाण होता है। जघन्य अवधिज्ञानका काल अवलिके असंख्यातवें भाग प्रमाण है। यहांसे लेकर आगेके सब विकल्प तिर्यंच और मनुष्योंके वेदनाखंड (पु. ९, पृ. १४-३९) में कही गई विधिके अनुसार अपने अपने उत्कृष्ट द्रव्य, क्षेत्र और कालके प्राप्त होने तक जानने चाहिए । इतनी विशेषता है कि तिर्यंचोंमें उत्कृष्ट द्रव्य तैजसशरीर प्रमाण,
४ ताप्रती 'पडिवादी (ए)' इति पाठः । म. बं. १ पृ. २३. उक्कोसो मणुएसु मणुस्स-तेरिच्छिएसु य जहण्णो 1 उक्कोस लोगमेत्तो पडिवाह परं अपडिवाई1 वि भा ७०६ ( नि ५३) .ताप्रती ' भागं लद्धं ' इति पाठः। * षट्खं पु ९, १४-३९ अप्रतो'-कालो त्ति ' इति पाठ: 1
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