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________________ विषय-सूची विषय पृष्ठ | विषय १ स्पर्श अनुयोगद्वार देशस्पर्श विचार परमाणुके सावयवत्वकी सिद्धि टीकाकारका मङ्गलाचरण १ | त्वक्स्पर्श विचार स्पर्श अनुयोगद्वारके कथनकी सूचना | त्वक् और नोत्वक्का लक्षण स्पर्श अनुयोगद्वारके १६ अधिकारोंका त्वक् और नोत्वक्स्पर्शके ८ भङ्ग नामनिर्देश सर्वस्पर्श विचार स्पर्शनिक्षेपकी प्रतिज्ञा " | एक परमाणुका दूसरे परमाणुके साथ स्पर्शनिक्षेपके १३ भेद ३ | किस प्रकारका संयोग होता है, इसका स्पर्श नयविभाषणताके कथनकी प्रतिज्ञा , विचार तेरह प्रकारके स्पर्शनिक्षेपोंका कथन न कर स्पर्शस्पर्श विचार पहले स्पर्शनयविभाषाके कथन करनेका स्पर्शस्पर्शके आठ भेद कारण मतान्तर और उसका निराकरण कौन नय किस स्पर्शको स्वीकार करता आठ स्पर्शोके २५५ संयोगी भङ्ग है, इसका विचार कर्मस्पर्श विचार नैगम, व्यवहार और संग्रह नयको अपेक्षा , कर्मस्पर्शके आठ भेद ऋजुसूत्रनय और शब्दनयकी अपेक्षा सब कर्मों के संयोगसे कुल ६४ भग नामस्पर्शका विचार उनमें ३६ अपुनरुक्त भङ्ग स्थापनास्पर्शका विचार द्रव्यस्पर्शका विचार बन्धस्पर्श विचार अमूर्त जीवका मूर्त पुद्गलके साथ सम्बन्ध बन्धस्पर्शके मुख्य पाँच भेद कैसे होता है, इस शंकाका समाधान , औदारिक आदि शरीरोंके संयोगसे संसारी जीव यदि मूर्त है तो उसके होनेवाले २३ भङ्ग मर्तत्वका अभाव कैसे होता है, इस उनमें १४ अपुनरुक्त भङ्ग शंकाका समाधान भव्यस्पर्श विचार जीव और पुद्गलका आदि बन्ध क्यों भावस्पर्श विचार नहीं बनता प्रकृतमें कर्मस्पर्श विवक्षित है द्रव्यकी स्पर्श संज्ञाका कारण महाकर्मप्रकृतिप्राभृतमें द्रव्यस्पर्श, सर्वस्पर्श द्रव्यस्पर्शके ६३ भङ्ग | और कर्मस्पर्श विवक्षित हैं एकक्षेत्रस्पर्श विचार | कर्मस्पर्शका शेष १५ अधिकारोंके द्वारा अनन्तक्षेत्रस्पश विचार १७ । कथन नहीं करनेका प्रयोजन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001812
Book TitleShatkhandagama Pustak 13
Original Sutra AuthorBhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Balchandra Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1993
Total Pages458
LanguagePrakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size11 MB
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