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________________ ५, ४, ३१. ) कम्माणुओगद्दारे पओअकम्मादीणं कालपरूवणा ( १३७ अंतोमुत्तेहि महत्तपुधत्ताहियबेमासेहि ऊणसगदाल-पण्णारसपुव्वकोडीहि सादिरेयाणि तिणि पलिदोवमाणि किरियाकम्मुक्कस्संतरं होदि । चिदियतिरिक्खअपज्जताणं पओअकम्म-समोदाणकम्माणमंतरं केवचिरं कालादो होदि? गाणेगजीवं* पडुच्च गस्थि अंतरं णिरंतरं । आधाकम्मस्संतरं केवचिरं कालादो होदि? णाणाजीवं पडुच्च पत्थि अंतरं णिरंतरं । एगजीवं पडुच्च जहण्णेण एगसमओ । उक्कस्सेण तिसमऊणाणि अट्टलैंतोमुत्ताणि । कुदो? एक्को तिरिक्खो वा मणुस्सो वा पंचिदियपज्जत्तो पाँचदियतिरिक्खअपज्जत्तएसु उववण्णो तत्थुप्पण्णपढमसमए उववादजोगेण जे गहिदा परमाण तेसि बिदियसमए णिज्जिण्णाणमाधाकम्मरस आदी होदि । तदियसमयप्पहुडि अंतरं होदि, विणट्ठोदइयभावत्तादो । सोलसण्णमंतोमुहुत्ताणं चरिमसमए आधाकम्मस्स लद्धमंतरं । एवं पंचिदियतिरिक्खअपज्जत्तएसु आधाकम्मस्स तिसमऊणसोलसंतोमहत्तमेत्तउक्कस्संतरुवलंभादो। मणुसगदीए मणुस्सेसु पओअकम्म-समोदाणकम्माणमंतरं केवचिरं कालादो होदि? णाणेगजीवं पडुच्च णस्थि अंतरं णिरंतरं । आधाकम्मस्स केवचिरं कालादो होदि? णाणाजीवं पड़च्च गस्थि अंतरं णिरंतरं । एगजीवं पडुच्च जहण्णेण होता है । तथा क्रियाकर्मका उत्कृष्ट अन्तरकाल क्रमसे पांच अन्तर्मुहर्त कम सेंतालीम पूर्वकोटि अधिक तीन पल्य और मुहूर्तपृथक्त्व अधिक दो माह कम पन्द्रह पूर्वकोटि अधिक तीन पल्य होता है । . पचेन्द्रिय तिर्यंच अपर्याप्तकोंमें प्रयोगकर्म और समवदानकर्मका अन्तरकाल कितना होता है ? नाना जीवों और एक जीवकी अपेक्षा अन्तरकाल नहीं है, वह निरन्तर है । अधकर्मका अन्तरकाल कितना है ? नाना जीवोंकी अपेक्षा अन्तरकाल नहीं है, वह निरन्तर हैं । एक जीवकी अपेक्षा जघन्य अन्तरकाल एक समय है और उत्कृष्ट अन्तरकाल तीन समय कम आठ आठ अन्तमुहुर्त है, क्योंकि, एक तिर्यंच या मनुष्य पंचेन्द्रिय पर्याप्त व पंचेन्द्रिय तिर्यंच अपर्याप्तकोंमें उत्पन्न हुआ। वहां उत्पन्न होकर उसने प्रथम समय में उपपादयोगके द्वारा जिन परमाणुओंका ग्रहण किया उनके दूसरे समयमें निर्जीण हो जानेपर अधःकर्मका प्रारम्भ होता है और तीसरे समयसे अन्तर होता है, क्योंकि, तीसरे समयमें उनके औदयिकभावका नाश हो जाता है । फिर सोलह अन्तमुहूर्तके अन्तिम समयमें उन निर्जीण परमाणुओंके ग्रहण होनेपर अधःकर्मका अन्तर प्राप्त होता है । इस प्रकार पंचेन्द्रिय तिर्यंच अपर्याप्तकोंमें अधःकर्मका उत्कृष्ट अन्तरकाल तीन समय कम सोलह अन्तर्मुहूर्त प्रमाण प्राप्त होता है। ___ मनुष्यगतिमें मनुष्योंमें प्रयोगकर्म और समवधानकर्मका अन्तरकाल कितना है? नाना जीवों और एक जीवकी अपेक्षा अन्तरकाल नहीं है, वह निरन्तर हैं। अध:कर्मका अन्तरकाल कितना है? नाना जीवोंकी अपेक्षा अन्तरकाल नहीं है, वह निरन्तर है । एक जीवकी अपेक्षा जघन्य अन्तरकाल एक समय है और उत्कृष्ट अन्तरकाल तीन समय कम सेंतालीस पूवकोटि *प्रतिषु णाणाजीवं ' इति पाठः18 अप्रतो 'पंचिदियपज्जत्तो', काप्रती 'पंचिदियपज्जत्ता . इति पाठः । * काप्रतौ नोपलभ्यते पदमेतत् ] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001812
Book TitleShatkhandagama Pustak 13
Original Sutra AuthorBhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Balchandra Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1993
Total Pages458
LanguagePrakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size11 MB
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