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५, ४, ३१. ) कम्माणुओगद्दारे पओअकम्मादीणं कालपरूवणा ( ११५ समयाहियागि। उक्कस्सेण दिवसागरोवमं पलिदोवम सादिरेयं पलिदोवमं सादिरेयं बे सत्त दस चोद्दस सोलस अट्ठारस सागरोवमाणि अंतोमहुत्तूणद्धसागरोवमेण सादिरेयाणि* । पुणो वीस बावीस तेवीस चउवीस पंचवीस छव्वीस सत्तावीस अट्टावीस एगणतीस तीस एक्कत्तीस बत्तीस तेत्तीस सागरोवमाणि संपुण्णाणि । भवणवासियप्पहुडि जाव उवरिमगंवज्जे ति किरियाकम्मं केवचिरं कालादो होदि ? णाणाजीवं पड़च्च सव्वद्धा। एगजीवं पड़च्च जहण्णण अंतोमहत्तं । उक्कस्सेण दिवसागरोवमं, पलिदोवमं सादिरेयं, पलिदोवमं सादिरेयं । एदे तिणि वि काला छपज्जत्तिसमाणण-विस्समण-विसोहिआवरणअंतोमहुत्तेहि तीहि ऊणा । उवरिमेसु* किरियाकम्मुक्कस्सकालस्स पओगकम्मभंगो। अचिव-अच्चिमालिणिवइर-वइरोयण. सोम-सोमरुइ-अंक-फलिह आइच्चेसु किरियाकम्मं केवचिरं कालादो होदि ? णाणाजीवं पडुच्च सव्वद्धा । एगजीवं पडुच्च जहणेण एक्कत्तीससागरोवमाणि समयाहियाणि । उक्कस्सेण बतीस सागरोवमाणि । विजय-वैजयंत-जयंत-अवराइदेसु किरियाकम्म केवचिरं कालादो होदि ? णाणाजीवं पडुच्च सव्वद्धा। एगजीवं पडुच्च जहणेण बत्तीस सागरोवमाणि समयाहियाणि । उक्कस्सेण तेत्तीसं सागरोवमाणि । सागर, एक समय अधिक इकतीस सागर, और एक समय अधिक बत्तीस सागर है । उत्कृष्ट काल डेढ सागर, साधिक एय पल्य, साधिक एक पल्य, अन्तर्मुहुर्त कम अढाई सागर, अन्तर्मुहूत कम साढे सात सागर, अन्तर्महर्त कम साढे दस सागर, अन्तर्महतं कम साढे चौदह सागर, अन्तर्मुहूर्त कम साढे सोलह सागर, अन्तर्मुहूर्त कम साढे अठारह सागर, फिर सम्पूर्ण बीस सागर, बाईस सागर, तेईस सागर, चौबीस सागर, पच्चीस सागर, छब्बीस सागर, सत्ताईस सागर अट्ठाईस सागर, उनतीस सागर, तीस सागर, इकतीस सागर, बत्तीस सागर और तेतीस सागर हैं। भवनवासियोंसे लेकर उपरिम ग्रेवेयक तकके देवोंमें क्रियाकर्मका कितना काल है ? नाना जीवोंकी अपेक्षा सब काल है। एक जीवकी अपेक्षा जघन्य काल अन्तर्मुहर्त है। और उत्कृष्ट काल भवनत्रिकमें क्रमसे डेढ सागर, साधिक एक पल्य और साधिक एक पल्य है। ये तीनों ही काल छह पर्याप्तियोंकी समाप्तिका एक अन्तर्मुहूर्त, विश्रामका दूसरा अन्तर्मुहुर्त और विशुद्धिकी पूर्तिका तीसरा अन्तर्मुहूर्त, इन तीत अन्तर्मुहुर्तोसे हीन है। अर्थात् ये तीन
त घटा देनेपर अपना अपना उत्कृष्ट काल होता है। इसके आग नौ ग्रैवेयक तक पाकर्मका उत्कृष्ट काल प्रयोगकर्मके उत्कृष्ट कालके समान है। अचि अचिमालिनी, वज्र, वैरोचन, सोम, सोमरुचि, अङ्क, स्फटिक और आदित्य, इन नौ अनुदिशोंमें क्रियाकर्मका कितना काल हैं ? नाना जीवोंकी अपेक्षा सब काल है । एक जीवकी अपेक्षा जघन्य काल एक समय अधिक इकतीस सागर है और उत्कृष्ट काल बत्तीस सागर है। विजय वैजयन्त जयन्त और अपजराजित इन चार अनुत्तरोंमें क्रियाकर्मका कितना काल है ? नाना जीवोंकी अपेक्षा सब काल है। एक जीवकी अपेक्षा जघन्य काल एक समय अधिक बत्तीस सागर है और उत्कृष्ट काल तेतीस सागर है। सर्वार्थसिद्धिविमानवासी देवोंके क्रियाकर्मका कितना काल है ? नाना
* अप्रती 'सागरोवमसादिरेयाणि ', आप्रती सागरोवमाणि सादिरेयाणि ' इति पाठः । ४ आप्रती ' एक्कतीस तेतीस सागरोवमाणि' इति पाठः। का-ताप्रत्योः । उवरिसे 'इति पाठः। For Private & Personal Use Only
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