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५, ४, ३१. ) कम्माणुओगद्दारे पओअकम्मादीणं कालपरूवणा ( १११ उणतेत्तीससागरोवममेत्तकिरियाकम्मुक्कस्सकालवलंभादो । एवं सत्तमाए पुढ-- वीए पओअकम्म--समोदाणकम्म-किरियाकम्माणं जहण्णुक्कस्सकालपरूवणा कायग्वा। गरि पओअकम्म.-समोदाणकम्माणं जहण्हकालो समयाहियबावीससागरोवमाणि । पढमादि जाव छट्टि त्ति पओअकम्म--समोदाणकम्माणं समए जहण्णकालो जहाकमेण वसवस्ससहस्साणि एग--तिण्णि-सत्त-सत्तारससागरोवमाणि समयाहियाणि । उक्कस्सकालो एग-तिण्णि-सत्त-दस - सत्तारस-बावीससागरोवमाणि संपुण्णाणि । किरियाकम्म केवचिरं कालादो होवि ? णाणाजीवं पडुच्च सव्वद्धा, सत्तसु पुढवीसु सस्वकालं सम्माइट्ठिविरहाभावादो । एग-- जीवं पडुच्च जहण्णण अंतोमुहुत्तं । कुदो ? मिच्छाइट्ठि-सम्मामिच्छादिट्ठीहितो आगंतूण सम्मत्तं पडिवज्जिय तत्थ सव्वजहण्णं कालमच्छिय गुणंतरं गयम्मि जीवे तदुवलंभादो । उक्कस्सेण सग- सगुक्कस्सद्विदीयो तीहि अंतोमहुत्तेहि ऊणाओ। के ते तिष्णिअंतोमहत्ता? छहि पज्जत्तीहि पज्जत्तयदम्मि एक्को विस्समणे बिदियो, विसोहिआवरणे तदियो मुहुत्तो। किमटुमेदे अवणिज्जते? ण, एदेसु सम्मत्तग्गहणाभावादो। सत्तमीए च छ ण्णमंतोमुहुत्ताणं परिहाणी एग-तिण्णि-सत्त-दरा सत्तारस-बावीससागरोवमेसु किण्ण कदा ? ण, एस दोसो, एदेहितों सम्मत्तेण सह काल उपलब्ध होता है । इसी प्रकार सातवीं पृथिवी में प्रयोगकर्म, समवधानकर्म और क्रियाकर्मके जवन्य और उत्कृष्ट कालका कथन करना चाहिय । इतनी विशेषता है कि यहां प्रयोगकर्म और समवधानकर्मका जघन्य काल एक समय अधिक बाईस सागर है। पहली पृथिवीसे लेकर छठवीं पथिवी तक प्रयोगकर्म और समवधानकर्मका जधन्य काल क्रमसे दस हजार वर्ष, एक समय अधिक एक सागर, एक समय अधिक तीन सागर, एक समय अधिक सात सागर, एक समय अधिक दस सागर और एक समय अधिक सत्रह सागर है । उत्कृष्ट काल क्रमसे सम्पूर्ण एक सागर, तीन सागर, सात सागर, दस सागर, सत्रह सागर, और बाईस सागर है। क्रियाकर्मका कितना काल है ? नाना जीवोंकी अपेक्षा सब काल है, क्योंकि, सातों पृथिवियोंमें सदा सम्यग्दृष्टि जीव पाये जाते हैं, उनका विरह नहीं होता । एक जीवकी अपेक्षा जघन्य काल अन्तमहर्त है, क्योंकि जो जीव मिथ्यादृष्टि या सम्यग्मिथ्यादृष्टि गुणस्थानसे आकर और सम्यक्त्वको प्राप्त होकर वहां सबसे जघन्य अन्तर्मुहर्त काल तक रहकर अन्य गुणस्थानको प्राप्त होते हैं उनके यह काल उपलब्ध होता है। उत्कृष्ट काल तीन अन्तर्मुहूर्त कम अपनी अपनी उत्कृष्ट स्थितिप्रमाण है।
शंका - वे तीन अन्तर्मुहुर्त कौनसे हैं ?
समाधान - छह पर्याप्तियोंसे पर्याप्त होनेका प्रथम अन्तर्मुहूर्त है, विश्राम करनेका दूसर अन्तर्मुहूर्त है, और विशुद्धिको पूरा करनेका तीसरा अन्तर्मुहूर्त है।
शका - ये अपनी अपनी उत्कृष्ट स्थितिमेसे क्यों घटाये जाते हैं ? समाधान - नहीं, क्योंकि इन अन्तर्मुहूर्तोंके भीतर सभ्यक्त्वका ग्रहण नहीं होता।
शंका - सातवीं पृथिवीमें अन्तर्मुहूर्तोंकी हानि होती है। वह हानि एक सागर, तीन सागर, सात सागर, दस सागर, सत्रह सागर और बाईस सागरमेंसे क्यों नहीं की ?
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