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५, ४, ३१. ) कम्माणुओगद्दारे पओअकम्मादीणं फोसणपरूवणा (१०५ सव्वपदाणं वट्टमाणेण लोयस्स असंखेज्जदिभागो। अदीदेण अटू चोदृसभागा देसूणा। इरियावह-तवोकम्माणं खेत्तभंगो। आधाकम्मस्स ओघो। मणपज्जव-केवलणाणीणं खेत्तभंगो।
संजमाणुवादेण संजद-सामाइय-छेदोवट्ठावण-परिहारविसुद्धि-सुहुमसांपराइयजहाक्खाद-संजदाणमप्पप्पणो पदाणं खेत्तभंगो। संजदासंजद० सव्वपदाणं वट्टमाणेण लोयस्त असंखेज्जविभागो । अदीदेण छ चोदसभागा देसूणा । वरि अधाकम्मस्स ओधभंगो । असंजदाणं खेत्तभंगो । णवरि किरियाकम्मस्स अदीदेण अट्ट चोद्दसभागा देसूणा।
दसणाणुवादेण चक्खुदंसणीणं तसपज्जत्तभंगो। गवरि केवलिभंगो पत्थि । अचक्खदंसणीसु सव्वपदाणं खेत्तभंगो; णवरि किरियाकम्मरस अदीदेण अट्ट चोद्दसभागा देसूणा । ओहिदसणीणमोहिणाणिभंगो । केवलदसणीणं केवलणाणिभंगो।
लेस्साणुवादेण किण्ण-णील-काउलेस्सियाणं सव्वपदाणं सव्वपदाणं अदीदवट्टमाणेण सव्वलोगो। णवरि किरियाकम्मस्स अदीद-वट्टमाणेण लोगस्स असंखेज्जदिभागो । तेउलेस्साए पओअकम्मसमोदाण कम्माणं वट्टमाणेण लोयस्स ओघकेसमान है। आभिनिबोधिकज्ञानी, श्रतज्ञानी और अवधिज्ञानी जीवोंमें सब पदोंका वर्तमान स्पर्शन लोकके असंख्यातवें भागप्रमाण है । अतीत स्पर्शन कुछ कम आठ बटे चौदह भागप्रमाण हैं । ईर्यापथकर्म और तपःकर्मका स्पर्शन क्षेत्रके समान है । अधःकर्मका स्पर्शन ओघके समान है । मनःपर्ययज्ञानी और केवलज्ञानी जीवोंमें सम्भव पदोंका स्पर्शन क्षेत्रके समान है।।
. संयममार्गणाके अनुवादसे संयत, सामायिकसंयत, छेदोपस्थापनासंयत, परिहारविशुद्धिसंयत, सूक्ष्मसाम्परायिकसंयत और यथाख्यातसंयत जीवोंके अपने अपने पदोंका स्पर्शन क्षेत्रके समान है । सयतासंयत जीवोके सब पदोंका वर्तमान स्पर्शन लोकके असंख्यातवें भागप्रमाण है । अतीत स्पर्शन कुछ कम छह बटे चौदह भाग प्रमाण है। किन्तु इतनी विशेषता है कि अध:कर्मका स्पर्शन ओघके समान है । असंयत जीवोंके सम्भव पदोंका स्पर्शन क्षेत्रके समान है । इतनी विशेषता है कि क्रियाकर्मका अतीत स्पर्शन कुछ कम आठ बटे चौदह भागप्रमाण हैं ।
गंणाके अनुवादसे चक्षुदर्शनवाले जीवोंके सम्भव सब पदोंका स्पर्शन त्रस पर्याप्तकोंके समान है। इतनी विशेषता है कि यहां केवलिसमुद्धातसे प्राप्त होनेवाला स्पर्शन नहीं होता। अचक्षुदर्शनवाले जीवोंके सब पदोंका स्पर्शन क्षेत्रके समान है। इतनी विशेषता है कि क्रियाकर्मका अतीत स्पर्शन कुछ कम आठ बटे चौदह भागप्रमाण होता है । अवधिदर्शनवाले जीवोंका स्पर्शन अवधिज्ञानियों के समान है । केवलदर्शनवाले जीवोंका स्पर्शन कवलिज्ञानियोंके समान है।
लेश्यामार्गणाके अनुवादसे कृष्ण, नील और कापोत लेश्यावाले जीवोंके सब पदोंका अतीत और वर्तमानकालीन स्पर्शन सब लोकप्रमाण है । इतनो विशेषता है कि इनके क्रियाकर्मका अतीत और वर्तमानकालीन स्पर्शन लोकके असंख्यातवें भागप्रमाण है । पीत लेश्या में प्रयोगकर्म और समवधान कर्मका वर्तमान स्पर्शन लोकके असंख्यातवें भागप्रमाण है । अतीत स्पर्शन कुछ कम आठ बटे चौदह भागप्रमाण और कुछ कम नौ बटे चौदह भागप्रमाण है। अधःकर्मका स्पर्शन
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