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इस पाँचवे सद्गुण के दो पासे है- सकारात्मक, नकारात्मक। अपने प्रति कठोर बनो, दूसरों के प्रति मृदु, दोनों का ही आचरण जीवन में होना चाहिए।
इन्सान किसी भी परिस्थितिमें अडिग कब रह सकता है ? जब वह स्वयं संयमी हो और दूसरों को मदद करने के लिए तत्पर। दूसरों के लिए आंसू बहाओ।
Life is mostly froth and bubble, Two things stand like stone, kindness in another's trouble, Courage in our own,
पानी के बुलबुले जैसी यह जिन्दगी है, इसमें दो वस्तु तलवार की तरह अमर बनती है, दूसरों के प्रति कोमलताभरी करूणा तथा स्वयं के प्रति हिम्मतभरा धैर्य।
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