SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 81
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ५८ आदि गृहस्थ थे परंतु अपने चरित्र की ऐसी महक छोडकर गये कि बड़े-बड़े साधु संत भी उनके गुण-गान गाते थकते नहीं । संयम तथा सदाचार केवल धर्म में ही नहीं, सुखी जीवन के लिए भी परम आवश्यक है । संसार भोग का अखाडा मात्र नहीं है। अतिभोग, रोग को आमंत्रित करते हैं। जैसे तालाब को दीवार होती है, वैसे ही भोग में योग की दीवार होनी चाहिए। गांधीजी ने अपनी आत्मकथा में अपनी विषय वृत्तियों के अतिरेक का खुले दिल से इकरार किया है । बाद में जीवन में संयम योग लाकर प्रेममूर्ति कस्तुरबा को कस्तुरबा कहकर संबोधित करते हैं, यह वृत्तियों, भावों का उर्ध्वकरण है। स्त्री को केवल भोग वृद्धि का साधन न समझकर, उसमें जीवन साथी और साधना - सहचरी का आत्मदर्शन करना ही शील है, संयम योग है । स्त्री के शील को समझना यानि कि पुरूष के जैसी ही विकास गामी चेतना का समभाव से संवेदन करना । काम स्त्री या पुरूष में नहीं, उनकी वृत्तियों में है। रात दिन स्त्री की निंदा करने वाले पुरूष शीलवान ही है, ऐसा जरूरी नहीं, हो सकता है, उनमें भीतर सुषुप्त, छिपी हुई वृत्तियां बाहर न आ जाए और कोई जान न ले इसलिए सतत ऐसी बातों द्वारा सुननेवालों का ध्यान दूसरी तरफ खींचना चाहते हैं। वस्तु के प्रति दृष्टिकोण बदलने से व्यक्ति के साथ संबंधो की सृष्टि भी बदल जाएगी शील दृष्टि है, विकार वृत्ति है, विकारी वृत्ति को सम्यग् दृष्टि द्वारा बदला जा सकता है। यदि जीवनरूपी सरिता में संयमरूपी किनारा न हों तो जीवन का पानी के रण में ही समाप्त हो जाएगा। हमें संयम के किनारों का आभार मानना चाहिए, जो जीवन के प्रवाह को परमात्मा रूपी सागर तक पहुँचाता है । महापुरूष कहते हैं कि जलते हुए इस संसार में सद्गुण रूपी शीतलता के सिवाय सब व्यर्थ है । इस तरह दान, विनय तथा शील सद्गुणों का त्रिवेणी संगम जहां होता है वहाँ लोकप्रिय नाम का तीर्थ बन जाता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001809
Book TitleDharma Jivan ka Utkarsh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChitrabhanu
PublisherDivine Knowledge Society
Publication Year2007
Total Pages208
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Sermon
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy