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लोकप्रियता और प्राप्ति
जिस देश में हम रहते हैं, उस देश के आचारों तथा अच्छे विचारों का आदरपूर्वक पालन करना चाहिए। कहते भी है कि "देश जैसा वेश" एक और बात - ___ “अति उद्भट वेश न पहेरिये, नव धरिए मलिनता वेश जो।"
हमें उद्भट वेश भी धारण नहीं करना चाहिए क्यों कि उद्भट वेश वाला सबकी निंदा का केन्द्र बिन्दु बन जाता है। दूसरों के मनोरंजन के लिए चाहे जैसे वस्त्र धारण करना शोभा नहीं देता, क्यों कि आखिर तो व्यक्ति अपने आंतरिक सौंदर्य से सुंदर दिखता है। साथ ही मैले कुचेले वस्त्र भी धारण नहीं करने चाहिए। व्यक्ति गहनों और कपड़ो से ही सुंदर नहीं दिखता, अपने व्यक्तित्व से सुंदर दिखता है। सादे, स्वच्छ कपड़ो से भी व्यक्ति की प्रतिभा दिखाई दे सकती है।
लोकप्रिय व्यक्ति को शक्ति अनुसार दान भी देना चाहिए, कल किसने देखा है? हमारे हाथ में सिर्फ आज का यही पल है इसीलिए “आज, आज भाई, आज और अभी" का मंत्र याद रखिए। किसी के भरोसे न रहकर, वर्तमान को पहचानकर सुयोग्य जीवन जीना है। यदि बाद में पछताना न हों तो धर्म के कार्य में समय का सदुपयोग जल्द से जल्द कर लेना चाहिए। जीवन के अंत में साथ ले जाने के लिए भाथे (रास्ते का खाना) की तैयारी
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