SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 32
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ताप आवश्यक है, सुख दुख जीवन के पोषक तत्त्व है, इनसे हारो मत, थको मत, हिम्मतवान बनो। सर्दी के बाद गर्मी, फिर बरसात यह प्रकृति का क्रम है, मानव जीवन में भी सीधी कटुता नहीं तो (शुगर कोटेड) शक्कर लिप्त कटुता जरूरी है। अकेली मिठाई से तो मधुमेह की बिमारी हो सकती है, इसीलिए जीवन में संपत्ति, विपत्ति दोनो स्वागत योग्य हैं। कहते है कि "सुख मां सोनी सांभरे, दुख मां जागे राम।' जिन्दगी की शाम जब ढलती है, तभी कष्ट आते है, तब आनंद शांति धाम प्रभु का स्मरण हमें होता है। जीवन में सुख-दुख दो पहलू हैं, जीवन रथ के दो पहिये हैं, कभी दुख तो कभी सुख दोनो हमेशां आते जाते रहते हैं। जिस सिक्के के दोनो पल्लू सलामत होते हैं वही सिक्के बाजार में चलते हैं। दोनो परिस्थिति में धीरता, समता रखनी है, तभी जीवन महत्त्वपूर्ण बन सकता है। ___ इन्सान दौलत के पीछे पागल बना है, पर वह जानता नहीं की दौलत जीवन में दो बार लात मारती है- जब आती है, आगे लात मारती है, इन्सान अकड़कर घूमता है और जब जाती है तब पीछे से लात मारती है, इन्सान को कुबड़ा बना देती है। इसके लिए हमें वृक्ष का उदाहरण लेना चाहिए कि इतनी गर्मी में भी वह इतना हरा भरा कैसे रहता है। क्यों की उसकी जड़ें धरती के नीचे शीतलता से भरी हैं। मानव जीवन में उपर से तपस्या तथा अंतर की गहराईयो में भक्ति की शीतलता हों, तो जीवन सदा प्रफुलित रह सकता है। जब अपने ही जीवन को मनुष्य शांतिमय नहीं बना सकता तो विश्व को क्या शांति प्रदान करेगा? अतः हमें जीवन का मूल्य सर्वप्रथम समझना होगा। खूनी और संत दोनों के पास जिन्दगी तो है पर भिन्न है। दोनो की जिन्दगी के उपयोग अलग है, इन दोनों के जीवन का दर्शन करो। अपने स्थान पर खडे होकर, जो हमसे नीचे है उनकी तरफ करूणा तथा प्रेम बहाएँ तथा हम से जो ऊंचे है उनकी और सन्मान, भक्ति भाव रखें। मानव जीवन का यह सुंदर अधिकार है, जिसे हम जानें, अनुभव करें। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001809
Book TitleDharma Jivan ka Utkarsh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChitrabhanu
PublisherDivine Knowledge Society
Publication Year2007
Total Pages208
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Sermon
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy