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धर्मकथा
शास्त्रों में राजकथा, भक्तकथा, देशकथा और स्त्रीकथा इन चार प्रकार की कथाओं को विकथा कहा गया है।
स्त्री कथा में क्या वृद्ध क्या युवान? सभी निमग्न बनते है, देशकथा, राज्यकथा भी काफी प्रचलित है और भोजनकथा में भी इंसान अपना कीमती समय बरबाद करता है। जब तक पृथ्वी पर मानव है, तब तक राग द्वेष रहेंगे, और उनके प्रतीकरूप राज्य भी रहेंगे।
जिन्हें राजनीति के बारे में कोई ज्ञान नहीं, ऐसे लोग भी राजकार्य की समीक्षा करने बैठ जाते है। अलग अलग रीतिरिवाजों की चर्चा करके भी इन्सान अपना मन लगाने की कोशिश करता है, इन सारी चर्चाओ के माध्यम से चिंताओ को भूलने का प्रयत्न करता है। ___क्या यह सब जीवन के उत्कर्ष में सहायक बन सकता है? मानव स्वयं को भूल गया है, उसे स्व आत्मा की पहचान करने के लिए धर्मकथा की जरूरत है।
व्यक्ति भौतिक, क्षणिक सुखों के पीछे दौड़कर अपना क्या गंवा रहा है? उसका उसे अंदाज नहीं है, क्यों की उसे आत्मा की पहचान नहीं है।
एक नादान बालक के पिता के पास लाखों की संपत्ति होते हुए भी, यदि उसे कोई एक रूपैया दे दे तो वह खुश हो जाएगा, क्यों की उसका
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