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________________ १५९ “Jack of all and master of none.” इसका कुछ अर्थ नहीं, एक विषय में भी पूर्णता हांसिल करना, विशेष महत्त्व रखता है। जब हम एक ही सद्गुण को आत्मसात करने का प्रयत्न करेंगे, तब वह हमारे साथ एकाकार हो जाएगा। अभयकुमार की बुद्धि, बाहुबलि का बल, कैवल्या का सौभाग्य, आज ढाई हजार वर्ष बीत जाने के बाद भी लोग चौपड़ों में याद करके लिखते हैं। इसका कारण है वे उन, उन गुणों में पूर्ण थे। सद्गुण हमारे जीवन में कैसे व्यापक बनें? इसके लिए प्रयत्न करना है। हर वर्ष यदि एक गुण भी अपनाएं तो २५-३० वर्षों में कितने सद्गुण जीवन में आ जाएंगे? पर हमारे जन्मदिन पर हम ऐसा कोई विचार करते हैं क्या? हमारे जीवन की शक्तियां बिखर कर समाप्त न हो जाएं, उसके लिए हमें सावधान होकर उन शक्तियों का संचय करके, उनका सदुपयोग करना है। बडो की सेवा, सम्मान तथा उनके हितकारी वचनों का पालन, इन तीन बातों पर अमल करता हुआ फूलशाल राजा श्रेणिक के पास पहुंच गया। कैसा आज्ञांकित ? कैसा सन्मान देने वाला? कैसा वचन पालन करने वाला? उसके विचार, वाणी, व्यवहार में जैसे विनयभाव ही झलकता है। श्रेणिक का तो ऐसा प्रिय पात्र बन गया, कि अब उसको फूलशाल के बिना मानों चैन ही नहीं पड़ता। कहा गया है कि "कोयल किसको देत है, कौआ किसका लेत? एक वचन के कारण, जग अपना कर लेत।" कौआ किसी का कुछ लेता नहीं, कोयल किसी को कुछ देती नहीं, फिर भी कोयल के मधुर कंठ के कारण दुनिया उसे पसंद करती है। हम विनय तथा व्यवहार से जगत को प्रेमबंधन में बांध सकते हैं। एक बार श्रेणिक भगवान महावीर को नंदन कसो गये, उनके चरणों में गिर पडे। श्रेणिक महाराज से भी ये भगवान महान दिखते हैं,वह तो दौड गया भगवान के पास, और ढाल व तलवार उनके पास रख दिए, और बोला, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001809
Book TitleDharma Jivan ka Utkarsh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChitrabhanu
PublisherDivine Knowledge Society
Publication Year2007
Total Pages208
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Sermon
File Size11 MB
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