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जो जानता नहीं और जानने का दंभ करे, उसे समझाना कठिन है, जब कि उसे समझाना आसान है, जो कबूल करे कि वह नहीं जानता।
जो समझदार है, वह अपनी भूल पहचान लेता है और फिर उसे सुधारने का प्रयत्न करता है, विशेषज्ञ अर्थात् ज्ञानी की यह विशेषता है। परंतु अर्धज्ञानी, अपने आप को पंडित समझे तो फिर उसे तो ब्रह्मा भी नहीं समझा सकते। ____ एक आदमी ने कुत्ते के काटने पर चौदह इंजेक्शन लिए, बच गया, फिर उसने सोचा किसी और को कुत्ता काटेगा तो? उसे दया आई और पचास हजार रूपये का दान देकर कहा “सब कुत्तों को जहर देकर मार डालो। ताकि किसी को काटे नहीं।" इन्सान को बचाने के लिए दया बताई सही, पर बिना विवेक की। इसमें उसे श्वान संहार का विचार नहीं आया। उसके द्वारा कराए गये हिंसा का विचार नहीं आया। अत ः ज्ञानियों ने फरमाया है कि धर्म, दया और दान के साथ ज्ञान प्रकाश की बहुत जरूरत है। ___प्रथम बार हिंसा का दृश्य देखकर प्रकंप जगता है, चक्कर आते हैं, परंतु बार-बार हिंसा की बातें, दृश्य देखकर करूणा कुंठित हो जाती है। एक दिन ऐसा था जब हिंसा की बात सुनकर हृदय द्रवित हो उठता था, आज ऐसी बेचैनी नहीं होती। हम हिंसा करते नहीं, परंतु अपरोक्ष रूप से हिंसा में भागीदार तो होते ही हैं। . बहुत से लोग कोमल चमड़े के पाकिट, जूत्ते, चप्पल इत्यादि पहनते हैं। क्या आपको मालूम है कि ये जिन्दा जानवरों की चमड़ी उतार कर, उससे बनाए जाते है। मुर्दा जानवर की खाल तो कठोर बन जाती है।
__ अपने यहाँ भारत में हिंसा की बातें स्थूल रूप ले रही है, जब कि न्यूयॉर्क, लंदन इत्यादि देशो में शाकाहारी क्लब शुरू हो गये हैं। वो लोग अहिंसक चमड़े का ही उपयोग करते हैं। हम मन, वचन, कायासे अहिंसा की बातें करने वाले दिन भर कड़वी वाणी बोलकर, घर में कलह करते हैं, कई स्त्रियों को अग्निस्नान करना पड़ता है। ऐसा क्रूरता मय, दयाहीन जीवन जीने वाले लोगों के जीवन में धर्म क्या शोभा देगा?
कितनी ही सासुएँ बहुओं को कडवे शब्द सुनाती रहती हैं, कई बार
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