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________________ 5 - पक्षाघात-लकवा (पेरेलिसिस) - STROKE अंत में, नियमित जीवन, मानसिक स्वस्थता, उचित मात्रा में परिश्रम, नियमित व्यायाम तथा योगासन और आवश्यक दवाई, खास कर ब्लडप्रेशर और डायाबिटीस के नियमन से पक्षाघात (और हृदयरोग भी) से बचा जा सकता है और उसके लिए जनजागृति अत्यंत आवश्यक है । ऐसा होने से व्यक्ति को, परिवार को, समाज को और देश को होनेवाली अत्याधिक हानि (अनेक प्रकार की) रोकी जा सकती है। (इस संदर्भ में बहुत ही जल्द एक अतिविस्तृत Preventive Programme for Stroke and Heart Attack शुरु करने के लिए सोचा है।) (सुखियाँ - • मस्तिष्क के कोषों में पोषण और ऑक्सिजन की कमी होने के कारण कोष काम करना बंद कर देते है, और शरीर का दायां या बायां अंग नाकाम हो जाता है, उसे पक्षाघात कहते है। मृत्यु के विविध कारणों में हृदयरोग, केन्सर और सड़क दुर्घटना के बाद चौथा नंबर पक्षाघात है। ब्लड प्रेशर, डायाबिटीस, कोलेस्टरोल, व्यायाम का अभाव, मेदस्विता, आहार में चर्बीयुक्त घटकों का अतिरेक, व्यसन, वंशानुगत कारण वगैरह पक्षाघात के जिम्मेवार परिबल है । मस्तिष्क में रक्त नलिकाओं में रक्त प्रवाह की कमी होने से कुछ समय के लिए (क्षण, मिनट, २४ घंटे से कम) बोलने में तकलीफ, हाथ-पांव में झुनझुनी, सुनापन या एक बाजु लकवे की असर, देखी जाए और २४ घंटे के अंदर मरीज़ बिलकुल ठीक हो जाए तो उसको टी.आइ.ए. ( Transient Ischemic Attack) कहते है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001801
Book TitleMastishk aur Gyantantu ki Bimariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudhir V Shah
PublisherChetna Sudhir Shah
Publication Year2008
Total Pages308
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Science, & Medical
File Size17 MB
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