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________________ 44 (२) मस्तिष्क और ज्ञानतंतु की बीमारियाँ करने के बावजूद भी मिर्गी का जरूरी नियमन न हो, तो उसे अनियंत्रित मिर्गी (Refractory Epilepsy-Intractable Epilepsy) कहते हैं । यह तय करने से पहले निम्न बातों की जांच कर लेनी चाहिये : (१) यह रोग मिर्गी का ही है न ? (Diagnostic Error) मिलता जुलता कोई रोग जैसे सिन्कोप, हिस्टीरीया या शक्कर कम होना आदि तो नहीं है न ? मिर्गी का प्रकार ठीक से तय हुआ है न? मिर्गी का कोई कारण खोजने में तो भूल नही हुई है न ? इन बातों का पुनः विश्लेषण कर के तय करना चाहिये। इससे सम्बन्ध योग्य दवा, योग्य मात्रा में दी तो गई है न ? जिस प्रकार की मिर्गी हो उस प्रकार की दवा दी जाती है । गलत दवा (Inappropriate drug) से मिर्गी अनियंत्रित भी हो सकती है। जैसे कि कार्बोमेजेपिन देने से मायोक्लोनिक प्रकार की मिर्गी अनियंत्रित हो सकती है । अयोग्य डोज-मात्रा या अयोग्य संयोजन तो नहीं है न ? रक्त में दवा का प्रमाण सम्बद्ध व्यक्ति में ठीक से बना हुआ तो है न? इसके अलावा मरीज की योग्य जांच हो चुकी है या नहीं? जैसे कि ई.ई.जी., सी.टी. स्कैन और एम.आर.आई. आदि द्वारा जांच कर योग्य कारण का पता तो लगाया गया है न ? (४) इसी प्रकार मरीज तरफ से कोई परेशानी तो नहीं है न? मरीज वास्तव में योग्य दवा नियमित लेता है या नहीं ? कोई अन्य ही मानसिक या शारीरिक बीमारी तो नहीं है न ? अन्य कोई दवा अन्य रोग के लिये चलती हो, तो उसके किसी विपरित प्रभाव से मिर्गी बढती तो नहीं है न ? मस्तिष्क में किसी तरह की गांठ, जन्मजात खामी या ऐसी कोई गड़बडी तो नहीं है न ? जरूरत पडने पर विशिष्ट प्रकार की ई.ई.जी., वीडियो ई.ई.जी., डेप्थ इलेक्ट्रोड से ई.ई.जी., स्पेक्टस्टडी और एम.आर.आई. कराना पडता है। (३) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001801
Book TitleMastishk aur Gyantantu ki Bimariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudhir V Shah
PublisherChetna Sudhir Shah
Publication Year2008
Total Pages308
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Science, & Medical
File Size17 MB
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