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________________ 4 - मिर्गी के दौरे (Epilepsy) दवाईयों तथा सर्जरी इन मुख्य दो भागों में विभाजित किया जा सकता है, जिसमें : नई दवाओं ( सेंकन्ड जनरेशन) में गाबापेंटीन, लेमोट्रिजिन, विगाबेट्रीन, टीआगाबीन, फेल्बेमेट, टोपीरामाइड उल्लेखनीय हैं । ये दवाईयाँ अमरीका के एफ.डी.ए. (फेडरल ड्रग्स ओथोरिटी) द्वारा कड़े परीक्षण से गुजरी होने के कारण बाजार में मिर्गी की दवा के रुप में स्वीकृत हुई हैं। सामान्यतः ये दवाईयाँ अपेक्षाकृत महंगी हैं । पहले बताई गई मुख्य दवाईयों का परिणाम न मिले तो प्रभाव सम्बद्ध ही इन दवाओं का उपयोग किया जाता है । अधिकांशतः इन दवाओं का दुष्प्रभाव कम होता है । फिर भी कुछ मामलों में विचित्र दुष्प्रभाव पाए जाते हैं । जैसे कि टोपीरामाइड से करीब २ प्रतिशत मरीजों को गुर्दे में पथरी होती है। इन दवाईयों के बहुत लम्बे समय के दुष्प्रभावों के लिए अभी कम अनुभव है, लेकिन गर्भावस्था में ये दवाईयाँ कदाचित सुरक्षित (Safe) हैं अर्थात् जन्म लेने वाले बच्चे पर इन दवाईयों का बुरा असर नहीं के बराबर पड़ता होगा, ऐसा पाया गया है । इस तरह सुयोग्य मामले में जब मुख्य दवा सफल न हो अथवा उससे दुष्प्रभाव होता हो तो नई दवाईयों का उपयोग अवश्य करना चाहिए। बिल्कुल नई दवाईयों में मुख्यतः ओक्सकाइँजेपिन (झेनोकसा, सेल्जिक), लीवाटीरासिटाम (टोरलीवा) तथा झोनीसेमाईड (झोनीसेप, झोनीग्रान) है । ये दवाईयाँ अभी काफी नई है । इन्हें थर्ड जनरेशन दवाईयाँ भी कहा जा सकता है । स्वाभाविक तौर पर इन दवाईयों का अनुभव कम है, परंतु अब तक ये प्रभावी पाई गई है। इनके दुष्प्रभाव बिल्कुल मामूली हैं, और कुछ पुरानी दवाईयों की जगह ये आराम से ले लेगी, ऐसा लगता है । जैसे कि कार्बोमेजेपिन के स्थान पर ओक्सकाइँजेपिन । जब मुख्य दवाईयाँ योग्य वैज्ञानिक मार्गदर्शन (Guidelineprotocol) के अनुसार उपयोग कर चुके हों और दवाईयों का योग्य संयोजन (Polytherapy), योग्य मात्रा में, योग्य समय तक उपयोग Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001801
Book TitleMastishk aur Gyantantu ki Bimariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudhir V Shah
PublisherChetna Sudhir Shah
Publication Year2008
Total Pages308
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Science, & Medical
File Size17 MB
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