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________________ 41 4 . मिर्गी के दौरे (Epilepsy) एपिलेप्सी का दौरा अर्थात् मिर्गी आए, तब इन बातों को अवश्य ध्यान में रखें : १. मरीज को एक करवट सुला कर कपड़े ढीलें कर दें । जीभ दांतो के बीच न आ जाए, इसके लिए मुंह में धीरे से रुमाल या गोज़पीस रखें, परंतु इसके लिए भी बहुत जोर न लगाएं । तुरंत तबीबी सलाह का इन्तेजाम करें । मरीज को घाव लगे अथवा बारबार मिर्गी आए, तो चिकित्सकीय सलाह लेनी चाहिए । जरूरत पड़ने पर नस में Lorazepam या Diazepam के इंजेक्शन की व्यवस्था करें, अथवा मरीज को तत्काल अस्पताल में दाखिल करें। • एपिलेप्सी के मरीज स्वस्थ-सामान्य जीवन जी सकते हैं, विवाह कर सकते हैं और महिला मरीज गर्भ भी धारण कर सकती हैं। गर्भावस्था के दौरान मिर्गी की कुछ दवाओं के उपयोग से, होने वाले बच्चे को अधिकांशतः कोई हानि नहीं पहुंचती, जैसे कि कार्बामेजेपिन, लेमोट्रिजिन और लीवाटीरासिटाम । परंतु यदि दवा बंद कर देने से मिर्गी आए, तो इसमें ऑक्सिजन नहीं मिलने से बच्चे को होने वाला नुकसान अधिक खराब साबित होता है। अत: गर्भवती को दवा अवश्य लेनी चाहिए । एपिलेप्सी की जाँच : जाँच के लिए मिर्गी की विस्तृत रिपोर्ट तैयार करनी चाहिए । जिसने मिर्गी देखी हो, उस व्यक्ति से सभी जानकारियां एकत्र करनी चाहिए । फिर मिर्गी का प्रकार, उपचार की पद्धति व रोग के बारे में अधिक जानकारी के लिए मस्तिष्क का ग्राफ (ई.ई.जी.), मस्तिष्क का फोटो (अर्थात् सी.टी.स्कैन) और आवश्यक हो तो एम.आर.आई. नामक स्कैन भी होना चाहिए। इसके अलावा रक्त की जांच, मस्तिष्क व सीने के एक्स-रे जैसी अन्य जांच को भी यथोचित शामिल करना चाहिए । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001801
Book TitleMastishk aur Gyantantu ki Bimariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudhir V Shah
PublisherChetna Sudhir Shah
Publication Year2008
Total Pages308
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Science, & Medical
File Size17 MB
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