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मस्तिष्क और ज्ञानतंतु की बीमारियाँ के अस्पताल में I.C.U. में भरती करके सारवार शुरू कर देनी बावजूद भी १५ - २० प्रतिशत दर्दी
चाहिए । सघन सारवार के की मौत हो सकती है ।
साइकोजनिक सीझर : हिस्टीरिया :
मिर्गी जैसे ही लक्षणों वाला अन्य एक रोग हीस्टीरिया है । यह एक मानसिक रोग है और इसमें मस्तिष्क में तकलीफ नहीं होती । यह रोग विशेषकर महिलाओं में पाया जाता है । मानसिक रोग के चिकित्सक के उपचार से इस रोग से मुक्त हुआ जा सकता है ।
फेबाइल कन्वल्जन अर्थात् बुखारप्रेरित मिर्गी :
कभी-कभी छोटे बच्चों को बुखार में सामान्य मिर्गी आ जाती है। सामान्यतः बच्चा पांच वर्ष का होने के बाद ऐसी मिर्गी स्वयं खत्म हो जाती है । इसमें मस्तिष्क में किसी तरह की हानि नहीं पहुंची है, इसकी पुष्टि कर लेनी चाहिए । जिन्हें बुखार में मिर्गी आती हो, ऐसे बच्चों को बुखार ही न आए, इसके प्रति पूरी सावधानी बरतनी चाहिए। तुरंत ही पेरासीटामोल जैसी दवाएं तथा क्लोबाजाम नामक दवा दे देनी चाहिए। गुदा में रखी जाने वाली Dir - २, Juniz या अन्य कोई दवा ऐसी मिर्गी रोकने का सटीक उपाय है और मिर्गी शुरु होगी भी, तो इससे तुरंत रुक भी जाती है । ये दवा बारह घण्टे बाद पुनः दी जा सकती है। या फिर दाँत या जीभ के ऊपर Midazolam नामक दवाई, ड्रोपर या सिरिंज से तुरंत डालने से मिर्गी के दोरे को रोका जा सकता है । ऐसी मिर्गी रोकना जरूरी है; क्योंकि बारबार मिर्गी आए तो भविष्य में कोम्प्लेक्स पार्शियल अथवा जनरलाइज्ड सीझर के दौरे शुरु हो सकते है । ( १% दर्दी में)
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