________________
38
मस्तिष्क और ज्ञानतंतु की बीमारियाँ (७) रासायणिक तत्त्व का असंतुलन (Nat, K+, Ca+2, Mg+2
इत्यादि) (८) चयापचय की गड़बड़ (९) रक्त में चीनी की मात्रा में कमी आना । (१०) ऊपर दर्शाए कारणों में कोई एक भी लागू न हो, ऐसे
मामले में भी एपिलेप्सी पाई जाती है । (Idiopathic) मिर्गी के मुख्य तीन प्रकार हैं :
(१) विस्तृत - विस्तृत प्रकार की मिर्गी (जनरलाइज्ड सीझर)
जनरलाइज्ड सीझर
पार्शियल सीझर
(२) सीमित - आंशिक प्रकार की मिर्गी (पार्शियल सीझर) (३) अनिर्णित (Unclassified)
(४) स्टेटस एपीलेप्टीकस इन तीनों प्रकार की मिर्गी के उप प्रकार : (१) जनरलाइज्ड सीझर :
(अ) ग्रान्डमाल एपिलेप्सी अर्थात् पूरे शरीर की मिर्गी (Tonic-clonic Seizures) : इस प्रकार में व्यक्ति बेहोश हो जाये, कभी चीखे, मुंह से झाग निकले, शरीर में झटके लगें, कई बार जीभ कुचले, तो कभी कपड़ों में मल-मूत्र भी हो जाता है । इस प्रकार की मिर्गी को बड़ी मिर्गी कहते हैं । होश में आने के बाद सामान्यतः मरीज कुछ देर अर्धचेतन अवस्था या तंद्रा में रहता है अथवा सो जाता है। कुछ समय के लिए पक्षाघात हो सकता है। कई बार मिर्गी आने के पहले मरीज को संकेत-चेतावणी मिल जाती है, जिसे औरा ( Aura) कहते हैं।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org