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मिर्गी के दौरे (Epilepsy)
यह एक तरह
एपिलेप्सी अर्थात् बारबार पड़नेवाले मिर्गी के दौरे अथवा चक्कर खा कर गिर जाना अथवा फिट का आ जाना। एक ही बार पड़ने वाले मिर्गी के दौरे को एपिलेप्सी नहीं कहा जाता का मस्तिष्क का रोग है, जिसमें मस्तिष्क में कुछ ही देर के लिए विद्युतीय तरंगें अधिक उत्पन्न होने से शरीर में कम्पन और झटके महसूस होते हैं । लगभग १०० में से एक व्यक्ति को एपिलेप्सी की बीमारी हो सकती है । इस हिसाब से हमारे देश में लगभग एक करोड़ लोग इस बीमारी से पीडित है, लेकिन एक निष्कर्ष के अनुसार १०० में ४ व्यक्तियों को उनके जीवन में एक बार तो मिर्गी आई ही होती है, जैसे कि बुखार में मिर्गी आना । एपिलेप्सी के ७० से ७५ प्रतिशत मामलों में यह बीमारी बचपन से ही होने की जानकारी मिली है । उस समय इसके उचित उपचार के अभाव में मरीज को भविष्य में शारीरिक व मानसिक क्षति भी पहुंच सकती है
एपिलेप्सी के मरीज उचित उपचार लें, तो स्वस्थ - सामान्य जीवन जी सकते हैं । ५० प्रतिशत मरीजों को तो दवा लेने के बाद दो से तीन वर्षों में इस बीमारी से हंमेशा के लिए मुक्ति मिल जाती है । एपिलेप्सी के मुख्य कारण :
(१) बच्चे के जन्म समय का घाव अथवा ऑक्सिजन की कमी |
(२) सड़क दुर्घटना या अन्य प्रकार का मस्तिष्क घाव |
(३) मस्तिष्क की गांठें यानी ब्रेईन ट्यूमर ।
(४) मस्तिष्क में रक्त का कम परिभ्रमण
(५) मस्तिष्क का बुखार, मस्तिष्क में संक्रामक रोग होना (जैसे कि टी. बी. या न्यूरोसिस्टिसरकोसिस )
(६) वंशानुगत कारण (Genetic)
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