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________________ 34 (८) मस्तिष्क और ज्ञानतंतु की बीमारियाँ (७) मिर्गी आती हो या सोडियम आदि द्रव्य का स्तर कम हो गया हो तो उसकी दवा देकर तात्कालिक उपचार शुरु किया जाता है। कई बार कोई नशीली दवाई का सेवन या नींद की दवाई का ज्यादा डोज़ या जहरी केमीकल का दुष्प्रभाव कोमा का कारण हो सकता है । इसलिए खून और पिशाब में इन दवाईयों का प्रमाण (Toxic Drug screening) जानना कोमा के अनिर्णित केसो में बहुत जरुरी है। मरीज को कोमा में ले जानेवाली स्ट्रक्चरल और मेटाबोलिक कंडिशन के बीच भी अंतर है । ब्रेईन ट्यूमर, लकवा और अचानक दुर्घटना के कारण हुए ब्रेईन हेमरेज का स्ट्रक्चरल कारणों में समावेश होता है । जिसमें मरीज के मस्तिष्क पर शारीरिक प्रतिकूलता का सीधा असर होता है । उसके विरुद्ध मेटाबोलिक कोमा में मस्तिष्क को छोडकर शरीर के अन्य भाग पर प्रथम असामान्यता दिखती है । यहाँ रोग पहले शरीर में अन्य अंग में होता है । जिसका असर बाद में मस्तिष्क पर होता है। हालाँकि कोमा के २ से ८ प्रतिशत केस ऐसे भी होते है जिसमें मरीज का कोमा में जाने का कारण पता नहीं चलता। अनपेक्षित या असहनीय सिर दर्द होता है तो उसे लापरवाही से न लेते हुए जाँच करा लेना हितकारक है । लकवे के मरीज को तत्काल अस्पताल में भर्ती करवाना चाहिये, जिससे समय बच सकें और सी.टी. स्कैन कर के अन्य ट्रीटमेन्ट की जा सके । लकवा और उसके कारण से कोमा पेशन्ट की बढ़ती संख्या तब घटेगी जब बी. पी., डायाबिटीस का उपचार योग्य तरीके से किया जाए और जीवनशैली में सुधार हो, वजन कम हो । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001801
Book TitleMastishk aur Gyantantu ki Bimariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudhir V Shah
PublisherChetna Sudhir Shah
Publication Year2008
Total Pages308
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Science, & Medical
File Size17 MB
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