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________________ 3 - मूर्छा (Coma) 33 (२) ऑक्सिजन, श्वासोच्छ्वास, रक्त परिभ्रमण, ब्लडप्रेशर जैसे महत्वपूर्ण कार्यों को जल्दी से नियंत्रित करना चाहिए । (३) कारण तत्काल पता नहीं चले ऐसे कोमा में तुरंत ही ग्लूकोज, B, विटामिन और Nalorphine Injection पहले दिये जाते है। (४) रक्त के विविध रिपोर्ट के बाद भी आवश्यकता रहे तो ई.ई.जी., सी.टी.स्कैन, लम्बर पंक्चर द्वारा कोमा के कारण । कारणों को जानकर उसका उपचार जल्द ही शुरु किया जाता है, जैसे कि मस्तिष्क का संक्रमण हो तो एन्टीबायोटिक, टी.बी. (क्षय) की दवा, थ्रोम्बोसिस हो तो रक्त पतला करने की दवा आदि का उपयोग होता है। (५) शरीर में डिहाईड्रेशन हुआ हो तो रक्तवाहिनी में (I.V.) प्रवाही दिया जाता है, या फिर एसिड-बेईझ संतुलन बिगडा हो तो उसका उपचार श्रेष्ठ तरीके से किया जाता है । पूर्ण केलरीवाला आहार देकर पोषण संतुलित किया जाता है। यकृत, किडनी आदि अंगो के खराब होने से कोमा हुआ हो या डायाबिटिस और थाईरोइड आदि की समस्या हो तो उसका तत्काल उपचार किया जाता है । जैसे कि वायरस से यकृत अचानक बिगड़ गया हो (Acute liver failure) तो अन्य उपचार के साथ एन-एसिटाइल सिस्टिन और मेनिटोल दिया जा सकता है । अगर यकृत शराब के सेवन से धीरे धीरे बिगड़ गया हो (Chronic liver failure) तो एल-ओनिथिन एल-एस्पार्टेट (Heparnerz) दिया जाता है और दोनों ही प्रकार में लेक्युलोझ एनिमा दिया जाता है । जब मरीज की परिस्थिति सुधरती है तब लिवर ट्रान्सप्लान्ट के लिए भी सुयोग्य केस में सोचा जा सकता है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001801
Book TitleMastishk aur Gyantantu ki Bimariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudhir V Shah
PublisherChetna Sudhir Shah
Publication Year2008
Total Pages308
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Science, & Medical
File Size17 MB
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