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मस्तिष्क और ज्ञानतंतु की बीमारियाँ इसका न्यूनतम स्कॉर ३ और महत्तम स्कॉर १५ है । यह स्कॉर अगर ८ से नीचे हो तो दर्दी की हालत गंभीर मानी जाती है । ___कोमा (बेहोशी) के दर्दी की परिस्थिति को जानने के लिए और उसकी स्थिति में सुधार या बिगाड़ हुआ, वो समझने के लिए यह बहुत ही सरल और असरकारक पद्धति है । उसमें मामूली असंदिग्धता जरुर है, फिर भी यह सर्वमान्य है ।
कोमा के मरीज का उपचार संपूर्ण ध्यान से, पद्धतिपूर्वक (सिस्टेमेटिक) किया जाता है । यह वजह से मरीज की हिस्ट्री, पल्स, टेम्परेचर, श्वास, आंख की जाँच और चेतातंत्र की जाँच करके उसके शरीर तथा मस्तिष्क के कई खास टेस्ट किये जाते है । इस लिए रक्त की विविध प्रकार की जाँच, एम.आर.आई., सी. टी. स्कैन, ई.ई.जी. और जरूरत पड़ने पर कमर में से पानी भी खिंचा जाता है, जो निदान पश्चात के उपचार में अति महत्वपूर्ण साबित हो सकता है । मरीज कोमा में से जब कभी ब्रेइनडेथ (ग्लासगो कोमा स्केल ३) की परिस्थिति में आ जाता है, तब यह घोषित करने से पहले सावधानी रखनी पडती है । यह संजोग में निश्चित मापदंड के आधार पर ही ब्रेईनडेथ जाहिर किया जाता है । यूँ कि मरीज की असली मृत्यु तो हृदय बंद पड़ने के बाद ही घोषित होती है, परंतु, बेईनडेथ के बाद मस्तिष्क की सतर्कता कदापि वापस नहीं आती हैं । इस लिये ऐसे मरीज का हृदय बंद पडने से (मृत्यु से) पहले किड़नी आदि अंगो का दान करने से किसी अन्य व्यक्ति की जिंदगी बचाई जा सकती
• उपचार : कोमा के उपचार के मुख्य मुद्दे निम्न निर्दिष्ट है : (१) परिस्थिति की गंभीरता के अनुसार मरीज को I.C.U. में दाखिल
करके घनिष्ठ उपचार शुरु करवा दें ।
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