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3 - मूर्छा (Coma)
(६) पोषण की कमी या डिहाईड्रेशन होने से भी कोमा हो सकता है । शरीर के उपयोगी तत्व जैसे कि विटामिन बी-१, बी-१२ आदि द्रव्य बहुत कम होने से भी कोमा हो सकता है । सोडियम घटने से होनेवाले कोमा को हाइपोनेट्रीमिक कोमा कहा जाता है ।
(७) होर्मोन्स असंतुलन : थाईरोइड, पेराथाईरोइड, अड्रिनल, पिट्यूईटरी ग्रंथियों में से होर्मोनस्राव बढ़ने घटने से कोमा हो सकता है
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( ८ ) मिर्गी : एपिलेप्सी (वाई) के एक से अधिक हमले के बाद । (९) अल्जाईमर डिसीझ : अंतिम स्टेज में रोग प्रवेश करने के दौरान ।
(१०) जहर ( पोईझन ) : आत्महत्या या हत्या के लिये उपयोग होनेवाला ओ. पी. पोइझनींग या भारी धातुएँ (हेवी मेटल्स) जैसे कि आर्सेनिक, लेड, पारा, नींद की गोलियों का ओवरडोझ । ( ११ ) नशीलें द्रव्य : मदिरा, हेरोईन, तंबाकु आदि । (१२) साइकोजेनिक कोमा: इसमें मरीज हकीकत में कोमा में नहीं होता
Glassgow Coma Scale :
सन् १९७४ में डॉ. टेसड़ेल और डॉ. जेनेट ने ग्लासगो नामक शहर में मरीज की जागृकता ( बेहोशी) का मापदंड नक्की करने के लिए ग्लासगो कोमा स्केल नामक सर्व स्वीकृत पद्धति का आविष्कार किया । जिसमें मूलभूत तीन संज्ञाओं का विश्लेषण किया गया है । जो इस प्रकार है :
१. आँखों का प्रतिभाव
२.
३.
हलनचलन का प्रतिभाव
वाचा का प्रतिभाव
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