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________________ 35 3 - मूm (Coma) पिछले कुछ समय में कोमा पेशन्ट की संख्या बढ़ने का कारण बी.पी., डायाबीटीस, तम्बाकु , शराब, सडक दुर्घटना, नशीले पदार्थ, पोईझनिंग और एईड्स की बढती मात्रा है । कुछ दवाईयों के दुष्प्रभाव से भी कोमा हो सकता है, जैसे कि इन्स्युलिन की मात्रा ज्यादा हो जाए तो रक्त में शर्करा-शुगर कम हो जाती है और मरीज बेहोश हो जाता है। कोमा में जानेवाले मरीजों का ठीक हो जाने का कोई नियत समय नहीं होता, प्रत्येक मरीज के केस में वह अलग-अलग हो सकता है। कुछ मरीजों में एकसमान अगोचर अद्रश्य प्रकार के किस्से उनकी तंद्रावस्था में पाये गये हैं, जिसे Near-Death Experience कहते है। कोमा से मुक्त होनेवाला मरीज फिरसे कोमा में जा सकता है । कोमा पेशन्ट की देख-भाल और उसे दुरस्त करने में दवाइयों के साथ मरीज की देखभाल, खुराक, प्रार्थना और प्रेम-भरी सारवार भी चमत्कारिक असर कर सकती है । मरीज के उपचार के साथ डोक्टर की सात्विकता तथा मरीज की अचेतन अवस्था में भी प्रदीप्त रहा उसका मनोबल अच्छे होने में महत्त्वपूर्ण रहता है ।। दो दिन, सप्ताह, महीनों या लंबे समय तक कोमा में जाने के बाद ठीक हुए मरीज संजोगवश दुष्प्रभाव के रूपमें कभी कभी गूंगे भी हो सकते है, कोई याददास्त भी खो बेठते है और कुछ ब्रेइनडेथ की ओर भी चले जाते हैं। कोमा के केस में मृत्यु का प्रमाण औसतन १० से २० प्रतिशत है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001801
Book TitleMastishk aur Gyantantu ki Bimariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudhir V Shah
PublisherChetna Sudhir Shah
Publication Year2008
Total Pages308
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Science, & Medical
File Size17 MB
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