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2 - मस्तिष्क की रेडियोलोजी की जाँच (Neuroradiology)
एम. आर. आई. (M.R.I. )
सी.टी. स्केन द्वारा चेतातंतु, मस्तिष्क के अंदर का भाग (व्हाइट मेटर) और करोडरज्जु जैसे अंगों की महत्वपूर्ण जानकारी मर्यादित मात्रा में मिल सकती है । सन् १९७२ में डामाडियन नामक वैज्ञानिक ने संशोधन किया कि चुंबकीय प्रवाह मानवशरीर की जांच के लिये उपयोग में लिये जा सकते हैं। कम्प्यूटर के आधुनिकरण से शक्तिशाली चुंबकीय प्रवाह द्वारा मस्तिष्क की छबी ली जाती है, जिसे मेग्नेटिक रेझोनन्स इमेजिंग (Magnetic Resonance Imaging) (एम.आर.आई.) के नाम से जाना जाता है । मस्तिष्क की गांठ, लकवा, व्हाईट मेटर का रोग और जन्मजात विकलांगता, चेतातंत्र के मल्टिपल स्क्लेरोसिस जैसे रोग, आंख और कान के अंदर के अत्यंत सूक्ष्म भाग आदि की जांच और निदान के लिये एम. आर. आई. अत्यंत महत्वपूर्ण साबित हुआ है
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एम.आर.आई. की मशीन एक नलाकार मेग्नेट होती है । जिसके मध्य में मरीज को सुलाने के लिये टनल होती है । इस मेग्नेट की चुंबकीय क्षमता पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र से एक हजार गुना अधिक होती है । इस मशीन की क्षमता उसके टेस्ला (Tesla ) द्वारा तय होती
है । सामान्यतः ०.२T, ०.३T, ०.५T, १.०८, १.५T के मशीन होते हैं । टेस्ला अधिक हो उस मशीन की कार्यक्षमता, बारीकी और रफ्तार अधिक होती है । अब ३.०T के पावरफूल मशीन आ जाने के बाद बारीक और स्पष्ट निदान बहुत जल्दी से (कुछ ही मिनटों में) हो जाता है । उच्चस्तर
एम. आर. आई. मशीन
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