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मस्तिष्क और ज्ञानतंतु की बीमारियाँ (३) एन्टिबायोटिक दवाई :
मस्तिष्क की भयंकर संक्रामक बीमारी जैसे कि मेनिन्जाटिस इत्यादि में योग्य मात्रा में आवश्यकता अनुसार उपयोग करने से जीवन बचाने में ये दवाई बेहद असरकारक-उपकारक साबित हुई है। आजकल ऐसा देखने में आता है कि ये दवाई अयोग्य मात्रा में साधारण बीमारी में भी अधिकत्तर अनावश्यक तरीके से उपयोग की जाती है। उनमें से कुछ लिवर (यकृत) अथवा किडनी (मूत्रपिंड) को खराब करती है, जैसे कि एमाईनोग्लाईकोसाईड दवाई । कुछ एन्टिबायोटिक से किसी की श्रवणशक्ति बिगड़ जाती है, और लड़खड़ाहट शुरु होती है (स्ट्रेप्टोमाइसिन), कभी रक्त पतला हो जाने पर ब्लिडींग होता है (सिफेलोस्पोरिन) ।
पेनिसिलीन समूह की कुछ दवाई से किसी मरीज़ को इंजेक्शन लेने के बाद मिनटो में ही जानलेवा रिएक्शन होता है, और क्वचित डॉक्टर के सामने ही मरीज की मृत्यु हो सकती है। पेनिसिलीन की टेबलेट या मरहम से भी ऐसा एलर्जिक रिएक्शन हो सकता है। इसलिए पेनिसिलीन या उस प्रकार की दवाई का उपयोग करने से पहले मरीज़ को पूछकर जानकारी लेनी चाहिए कि उन्हें भूतकाल में ऐसी कोई एलर्जी हई थी? इस कारण योग्य जगह पर ही ऐसी एन्टिबायोटिक का उपयोग करें और त्वचा पर टेस्टडोज़ देकर आधे घंटे तक रिएक्शन तो नहीं होता, यह देखने के बाद ही पूरा डोज़ दें । सौभाग्य से ऐसे केस अत्यंत कम होते है। अनावश्यक एन्टिबायोटिक दवाई से रेसिस्टन्स हो, तो बाद में भारी दवाई का ही उपयोग करना पड़ता है।
(४) क्विनाइन (Quinine) :
क्विनाइन जहरी मलेरिया के उपाय हेतु उपयोग होती है। उससे कान में सीटी जैसी आवाज़ आना, घबराहट होना, चक्कर आना, दुविधा से लेकर मिर्गी आना या किड़नी खराब हो जाना (ब्लेकवोटर फिवर) जैसे भयंकर परिणाम आ सकते हैं। सौभाग्य से ऐसी घटना अत्यंत कम होती है। जी.६-पी.डी. नामक ब्लडटेस्ट क्विनाइन देने से पहले करवाना हितकर है।
अंत में फिर से एक बार दोहराता हूँ कि उपर्युक्त गई दवाई चिकित्सकीय सलाह और देखरेख बिना कदापि स्वयं न ले । उपर्युक्त माहिती केवल जानकारी हेतु ही है ।
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