SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 28
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 1 - Fancier waifera orifete Haferit (Information about Nervous System) 9 अजीब सा नेटवर्क है, जो सेकंड के १००० वे भाग में एक जानकारी को एक भाग से दूसरे भाग तक पहुँचा सकता है । यह एक रासायनिक प्रक्रिया है । मस्तिष्क के कोष अन्य कोषों के जैसे ही अपने चयापचय को संभालते है । यह एक जैविक (बायोलोजिकल) प्रक्रिया है । विचार, बुद्धि, विवेकशीलता, याददास्त और सर्जनात्मकता जैसे अतिविकसित उपकरण - अवधान मस्तिष्क को मिले हुए है और उसके साथ साथ हमदर्दी, क्रोध, पसंद-नापसंद और प्रेम जैसी संवेदनशीलता अपने मस्तिष्क को मिली है । मुख्यतः आहार, निद्रा, भय जैसी मूलभूत स्वाभाविक वृत्तियां (instincts) मस्तिष्क को उपलब्ध है । दृष्टि, स्वाद, गंध, स्पर्श और श्रवण जैसी ज्ञानेन्द्रिय मस्तिष्क में तैनात है। भाषा के द्वारा हम एक दूसरे के साथ सरलता से विचारों का आदानप्रदान कर सकते है । हम जिसे 'मन' कहते है वह भी मस्तिष्क का ही भाग नहीं है क्या? हालांकि भौतिक रूप से हृदय (दिल) छाती में होता है । परंतु कवि जिस संवेदनात्मक हृदय की बात करते हैं उसके बारे में सोचने से ऐसा लगता है कि वह सचमुच तो मस्तिष्क की ही बात करते है। मानवसर्जित किसी भी सुपर कम्प्यूटर में कभी भी हम ऐसी उम्मीद रख सकते है ? आश्चर्य इस बात का है कि अपने मस्तिष्क के बारे में अपना मस्तिष्क ही सोच सकता है, विश्लेषण कर सकता है, हालाँकि हमें किसने बनाया है, इसकी कल्पना भलीभाँति हम कभी कर नहीं पाते हैं । मस्तिष्क में पैदा होने वाले विद्युत-तरंगों को ई.ई.जी. (E.E.G.) द्वारा जाना जा सकता है। मस्तिष्क के पिछले हिस्से में से जागृत अवस्था में आँख बंद कर के जिस विद्युतकीय प्रक्रिया को महसूस किया जा सकता है उसे आल्फातरंग कहा जाता है । उसकी तरंग संख्या ८ से १३ Hz होती है । एक दम आगे के फ्रन्टल कोर्टेक्स पर से सामान्यतः बीटा तरंग १४ से ४० Hz जितनी होती है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001801
Book TitleMastishk aur Gyantantu ki Bimariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudhir V Shah
PublisherChetna Sudhir Shah
Publication Year2008
Total Pages308
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Science, & Medical
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy