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मस्तिष्क और ज्ञानतंतु की बीमारियाँ (४) मायोटोनिक डिस्ट्रोफी :
यह बीमारी में चहेरे के स्नायु कमजोर हो जाते है। मरीज के चेहरे पर यह बीमारी स्पष्ट दिखती है। इसके उपरांत गले और हाथ के स्नायुओं को भी असर होता है । मायोटोनिया देखने को मिलता है, जिस में मुठ्ठी बंध करने के बाद वह सरलता से खुल नहीं सकती। मरीजों में अल्पमानसिक विकास, हृदय की बीमारी और मोतियाबिन्द इत्यादि देखने को मिलता है। इसके उपरांत फेसियोस्केप्यूलोह्युमरल मस्क्युलर डिस्ट्रोफी में मुँह, कंधे और हाथ के स्नायुओं में कमजोरी होती है।
इस दर्द में मायोटोनिया हेतु फेनिटोइन नामक दवाई दी जाती है। चेनलोपथी : आयन चेनल जो स्नायुओं में कोषों के बीच होती है, उनमें खामी होने से होनेवाली मायोपथी मुख्यतः नीचे मुजब है । (१) हायपोकेलेमिक पीरियोडिक पेरेलिसिस :
रक्त में पोटेशियम तत्व कम होने से हाइपोकेलेमिक पीरियोडिक पेरेलिसिस हो सकता है जिस में हाथ में-कंधे तरफ और पैर मेंजांघ तरफ के स्नायुओं में कमजोरी आती है। यह बीमारी बार बार हमला कर सकती है। कभी कभी आंखो और श्वासोच्छ्वास के स्नायुओं पर भी असर हो सकती है। योग्य उपचार न मिलने पर जानलेवा हो सकती है। हृदय की धड़कन में अनियमितता देखने को मिलती है। रक्त में पोटेशियम का प्रमाण कम होते हुए देखने को मिलता है। टेन्डन जस की तीव्रता कम मालूम पडती है । इसमें मुख्यतः केल्शियम की चेनल में खामी होती है। पोटेशियम-नस में इंजेक्शन बोतल के तहत या मुँह द्वारा देने से स्नायुओं की कमजोरी दूर हो जाती है। इसमें तबीबी देखरेख अत्यंत जरूरी है क्योंकि पोटेशियम की मात्रा में वध-घट होने से गंभीर दुष्प्रभाव हो सकते है।
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