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स्नायु की बीमारियाँ (Myopathies)
(२) हाईपरकेलेमिक पीरियोडिक पेरेलिसिस :
रक्त में पोटेशियम की मात्रा बढ़ने से भी इस प्रकार की स्नायुओं की कमजोरी आ सकती है । इसमें मुख्यतः सोडियम चेनल में खामी देखने को मिलती है। मरीज को कम पोटेशियम और ज्यादा शर्करा युक्त आहार लेना चाहिए। ज्यादा श्रम, उपवास और ठंड से बचना चाहिए । एसिटाझोलामाईड और क्लोर थायाझाईड दवाईयों से फायदा हो सकता है ।
(३) पेरामायोटोनिया कोन्जेनीईटा :
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इस रोग में ठंडे वातावरण से या तो बिनाकारण कमज़ोरी आ सकती है । शारीरिक प्रवृत्ति से कमज़ोरी बढ़ती है । ग्लुकोझ या अन्य कार्बोहाईड्रेटयुक्त पदार्थों का सेवन करने से यह कमजोरी दूर हो सकती है । थायाझाईड डाइयूरेटिक और मेक्झिलेटिन नामक दवाई से फायदा होता है । लेकिन इसका असर होते समय लगता है ।
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(C) मेटाबोलिक मायोपथी ( Metabolic Myopathy) :
स्नायुओं की जन्मजात चयापचय की गड़बड़, जैसे कि ग्लायकोजन स्टोरेज, मायो फोस्फोरीलेज़, लिपिड स्टोरेज तथा कुछ मायटोकोन्ड्रीयल मायोपथी इस प्रकार में समाविष्ट है । इसमें मरीजको शुरूआत में थोडा-सा काम करने पर भी थकावट महसूस होती है । व्यायाम करते समय स्नायुओं में दर्द होता है, जो सामान्य व्यक्तिओं में नहीं होता । स्नायुओंकी कमजोरी छोटी उम्र से ही दिखना शुरू हो जाती है । पेशाब का रंग कोला के रंग जैसा लगता है । खून में शर्करा, चरबी वगैरह के चयापचय में उपयोग में आनेवाले एनझाईम की मात्रा कम हो जाती है ।
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