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________________ 21 - स्नायु की बीमारियाँ (Myopathies) 233 (३) मसल बायोप्सी करके माईक्रोस्कोप जाँच में सुनिश्चित निदान होता है। (४) परिवार के अन्य पुरुष, बच्चे और माता के भाई और उनके बच्चों में ऐसी बीमारी के लक्षण पाए जाने की पूरी संभावना है। उपचार: स्टिरोइड से इस बीमारी पर कुछ मात्रा में अंकुश लगाने के बाद भी इसका कोई ठोस-अकसीर इलाज अभी तक संशोधित नहीं हुआ है। फिरभी व्यायाम और मानसिक सहायता इन मरीजों का विश्वास बनाए रखने में अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं । इसलिए मस्क्युलर डिस्ट्रोफी एसोसियेशन और डी.एम.डी. सपोर्ट ग्रुप जैसी संस्थाए कार्यरत हैं। नई पद्धतियों में जीन थेरेपी / स्टेमसेल थेरेपी आशास्पद लगती है । (२) बेकर मस्क्युलर डिस्ट्रोफी : 'एक्स' रंगसूत्रयुक्त की यह बीमारी में स्नायुओं की कमजोरी डशेन मस्क्युलर डिस्ट्रोफी जैसी ही होती है, लेकिन कमजोरी की तीव्रता और बीमारी बढने की गति मंद होती है । बीमारी के प्रारंभिक चिह्न ५ से १५ वर्ष की आयु में दिखते हैं और सामान्यतः मरीज ४ से ५ दशक जीवित रहता है। (३) लिंब (उद्दीपक पदार्थ) गर्डल डिस्ट्रोफी : । स्नायुओं की यह बीमारी पुरुष और स्त्री दोनों में देखने को मिलती है। यह जीवन के पहले से चौथे दशक तक होते हुए देखने को मिलती है । क्रमश: बढ़ती हुई यह बीमारी में कमर और कंधे के स्नायुओं में कमजोरी मालूम पडती है, जो क्रमशः बढ़ती जाती है। उदरपटल की कमजोरी से कभी श्वासोच्छ्वास की गंभीर परेशानी हो सकती है । इसके उपरांत हृदय की तकलीफ भी शुरु हो सकती है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001801
Book TitleMastishk aur Gyantantu ki Bimariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudhir V Shah
PublisherChetna Sudhir Shah
Publication Year2008
Total Pages308
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Science, & Medical
File Size17 MB
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