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मायस्थेनिया ग्रेविस (Myasthenia Gravis)
मायस्थेनिया ग्रेविस एक कष्टसाध्य, दीर्घकाल तक चलनेवाली ज्ञानतंतु और स्नायु की बीमारी है । इस बीमारी में स्नायु में समय - समय पर कमज़ोरी आ जाती है । ऐच्छिक स्नायु असाधारण तीव्रता से थक जाते हैं । अस्थितंत्र के साथ जुड़े हुए स्नायु - आँख, मुँह, जिह्वा और हाथ-पैर के हलन चलन पर नियंत्रण करनेवाले स्नायु इस बीमारी में असरग्रस्त होते है | चेता और स्नायु के बीच की कड़ी को न्यूरो मस्क्यूलर जंक्शन कहते है, जो तरंगो को चेता से स्नायु तक पहुँचाता है । ज्ञानतंतुओं में से स्नायु तक पहुँचने वाली तरंगो के प्रसारण में क्षति होने की वजह से यह रोग होता है, लेकिन उसमें ज्ञानतंतु और स्नायु स्वयं स्वस्थ - क्षतिरहित होते है ।
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यह रोग का प्राथमिक प्रारंभ मुख्यतः स्त्रीओं में ४० साल की उम्र के पहले और पुरुषो में ४० साल की उम्र के बाद होता है । लेकिन बालिकाओं में यह रोग क्वचित ही देखा जाता है । यह व्याधि संक्रमित या वंशानुगत नहीं है ।
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चार हिस्सो में विभाजित यह रोग में सर्वप्रथम ध्यान केन्द्रित करनेवाला लक्षण आँखो के स्नायु की कमज़ोरी है (Grade - १) । अंशत: मरीज़ो में यह रोग आँखो तक सीमित रहता है । परन्तु अधिक समय पश्चात अन्य स्नायुओ, जो कि हँसने की, चबाने की, निगलने की, बोलने की और हाथ-पैर चलाने की क्रिया करते है, (उनके) उपर भी असर दिखने लगती है, अन्त में श्वासोच्छ्वास की क्रिया करने वाले स्नायु पर भी जब बीमारी की असर होती है तब सांस लेने में भी तकलीफ होती है और जान खतरे में पड़ जाती है (Grade-४) ।
मुख्य लक्षण :
१.
२.
३.
४.
एक या दोनों पलकें गिर जाना ।
आँख-नजर इधरउधर घुमाने में तकलीफ । चलने में अस्थिरता, कमज़ोरी, थकान । हाथ और ऊँगलियों में कमज़ोरी । आहार निगलने में परेशानी ।
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