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________________ 226 मस्तिष्क और ज्ञानतंतु की बीमारियाँ ६. बोलने में परेशानी होना, बोलते बोलते आवाज़ क्षीण हो जाना, नाक से आवाज़ निकलना । ७. श्वासोच्छ्वास में तकलीफ । मायस्थेनिया ग्रेविस के मरीज़ो के लिये श्वासोच्छ्वास की तकलीफ बहुत खतरनाक हो सकती है। यह तकलीफ हो तब मरीज़ को अस्पताल में भर्ती करना आवश्यक हो जाता है । रोग बढ़े तब अथवा शरीर में संक्रमण या गर्भावस्था जैसे संयोगो में श्वास की तकलीफ हो सकती है। यह रोग में बारबार स्नायुओं की कमजोरी होती है। जो बाद में खत्म भी हो जाती है या कुछ समय के पश्चात बढ़ भी सकती है या लंबे समय तक यथावत् भी रह सकती है। यह बीमारी की उग्रता प्रत्येक मरीज में प्रति घंटे बदल सकती है। अधिक परिश्रम से मरीज़ दिन के अंत भाग में ज्यादा कमज़ोर दिखाई देता है, आराम करने से यह परिस्थिति में आंशिक सुधार होता है । ऐसे संजोग में आधुनिक उपचार से मरीज़ अधिकांशतः आराम पाकर सामान्य जीवन व्यतीत कर सकते है । इस रोग में थायमस ग्रन्थि भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उसके कोषों को शरीर के रोगप्रतिकारक तंत्र का एक हिस्सा माना जाता है। छाती में स्थित यह ग्रंथि बचपन में बड़ी होती है, जो क्रमश: छोटी होती चली जाती है। और वयस्क उम्र के सामान्य व्यक्तिओं में उसे ढूंढना बहुत मुश्किल हो जाता है । लेकिन मायस्थेनिया ग्रेविस के मरीज़ो में अधिकांशतः थायमस ग्रन्थि बड़ी देखी जाती है। १० प्रतिशत से १५ प्रतिशत मरीज़ो में थायमोमा नामक थायमस ग्रन्थि की गांठ होती है, जो सामान्यतः साधारण (यानि की केन्सर की नहीं) होती है। लेकिन कभीकभी उसमें केन्सर होने की संभावना होती है। उपरांत करीबन ५ प्रतिशत मरीज़ो में थायरोईड ग्रन्थि की बीमारी देखने को मिलती है। मायस्थेनिया ग्रेविस की शुरूआत कोई कोई मरीज में अचानक हो सकती है, जो सभी स्नायुओ में उग्रतापूर्वक कमजोरी लाता है। अधिकतर प्राथमिक लक्षणों से यह बीमारी का निदान करना मुश्किल है। परन्तु निष्णात डॉक्टर रोग का निदान उसके लक्षण और चिह्न से कर सकते है। मुख्यतः थकान के लक्षणों हेतु आँखो और हाथ-पैर के स्नायुओं पर ध्यान दिया जाता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001801
Book TitleMastishk aur Gyantantu ki Bimariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudhir V Shah
PublisherChetna Sudhir Shah
Publication Year2008
Total Pages308
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Science, & Medical
File Size17 MB
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