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रोग
17 - मल्टिपल स्क्ले रोसिस (Multiple sclerosis)
मल्टिपल स्कलेरोसिस की सारवार के कुछ सिद्धांत : (१) जब रोग का नया हमला आए और भारी हो, तब स्टीरोईड्स
(intravenous) देना चाहिए। (२) RRMS दर्दीओंको immunomodulatory दवाईयाँ देनी
चाहिए। (इन्टरफेरोन, कोपेक्झोन, माईटोजेन्ट्रोन इत्यादि) (३) सेकन्डरी प्रोग्रेसीव रोग के रोगियों को बहुत जल्दी से भारी
सारवार देनी चाहिए। (४) प्राइमरी प्रोग्रेसीव प्रकार के रोगी को सामान्यतः कोई दवाई से
फायदा नहीं होता है। (५) मल्टिपल स्क्लेरोसिस एक जिंदगीभर चलने वाली बीमारी है।
इसलिए इसकी सारवार भी बंद नही करनी चाहिए । रोग के दर्दी की बहुत नजदीक में बारबार शारीरिक तपास एवं नियमित तौर से एम.आर.आई. जाँच करनी चाहिए । दिमाग
और करोडरज्जु का कोन्ट्रास्ट एम.आर.आई. थोडे-थोडे समय
के बाद करते रहना चाहिए । NMO (Neuromyelitis Optica) : न्यूरोमायलाईटिस ओप्टिका :
बिलकुल मल्टिपल स्क्लेरोसिस जैसी लगने वाली यह बीमारी में करोड़रज्जु के तीन से ज्यादा सेग्मेन्टस में डिमायलिनेशन (सूजन) होती है जिसको मायलाईटिस कहा जा सकता है । साथ में आँख की दृष्टि को क्षति होती है । इसके निदान के लिए ब्रेईन, ऑप्टिक नर्व और करोड़रज्जु का कोन्ट्रास्ट एम.आर.आई. और CSF में एन्टी एन.एम.ओ. एन्टीबॉडी की जाँच की जाती है।
यह रोग स्टिरोईड्स से काबू में आ सकता है, पर गामाग्लोब्यूलिन और प्लाझमा एक्सचेंज से भी बहुत फायदा होता है, जो सारवार मल्टिपल स्क्लेरोसिस में इतनी उपयोगी नहीं है ।
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