SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 219
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 200 मस्तिष्क और ज्ञानतंतु की बीमारियाँ उपचार : कुछ वर्ष पहले तक असाध्य समझी जानेवाली इस बीमारी के उपचार में आधुनिक चिकित्सा विज्ञानने आंशिक सफलता प्राप्त की है। (१) बीमारी का हमला हो तब तुरंत ही स्टिरोइड्स मुख्यतः मिथाइल प्रेड्निसोलोन या ए.सी.टी.एच. (A.C.T.H.) या प्रेड्निसोलोन नामक दवाई उपयोग की जाती हैं । (२) बीमारी धीरे धीरे बढ़ते हुए कायमी बने तब मिथोट्रेक्षेट या तो एझाथायोप्रीन इत्यादि दवाई कभी-कभी दी जाती है। लेकिन ये बहुत उपयोगी मालूम नहीं हुई । (३) इन्टरफेरोन B1b (बीटा सेरोन), इन्टरफेरोन B1a ( एवोनेक्ष UM, रेबीफ SIC), कोपेक्षोन (ग्लेटिरामर) तथा कोपोलिमर (Copolymer) जैसी दवाई हमले को रोकने के लिए उपयोगी होती हैं। इन दवाई को उपचार हेतु मूलभूत दवाई कह सकते है। यह दवाई महँगी होती है और उन्हें निष्णात डोक्टर की देखरेख में ही दी जानी चाहिए। (४) Mitoxantrone और Natalizumab दवाई भी बारबार हमला होनेवाले मरीजो में असरकारक है । (५) कुछ केस में गामा-ग्लोब्युलिन नामक महँगी दवाई असरकारक साबित हुई हैं। (६) स्टेमसेल थेरेपी से कुछ केसो में अच्छे परिणाम मिले है, लेकिन आगे संशोधन की इसमें जरुरत है । (७) इसके उपरांत इस बीमारी में और भी बहुत से चिह्न होते हैं। अत्यंत दर्द, हाथ-पैर का कड़कपन अथवा कंपन, स्मृतिभ्रंश होना, मल-मूत्र त्याग में परेशानी, कमज़ोरी, थकावट, जातीय जीवन की परेशानी, हताशा जैसी मानसिक व्यथा जैसे अनेक चिह्न होते है। जिनका योग्य उपचार करना चाहिए। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001801
Book TitleMastishk aur Gyantantu ki Bimariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudhir V Shah
PublisherChetna Sudhir Shah
Publication Year2008
Total Pages308
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Science, & Medical
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy