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________________ 195 16 - करोड़रज्जु के रोग (Myelopathy) ४. विशिष्ट लेबोरेटरी जाँच, बायोकेमिस्ट्री इत्यादि । ५. कभीकभी ई.एम.जी., एन.सी.वी., वी.ई.पी., और जिनेटिक जाँच इत्यादि की आवश्यकता भी रहती हैं। उपचार : योग्य उपचार हेतु संपूर्ण निदान होना बहुत जरुरी है । करोड़रज्जु में दबाव के कारण बीमारी की परिस्थिति का निर्माण हो तो, सबसे पहले यह देखना चाहिए कि शस्त्रक्रिया संभव है या नहीं ? बहुत लंबे, जटिल या माईक्रोस्कोप की मदद से होने वाले ऑपरेशन से लेकर अल्ट्रासाउन्ड की मदद से गांठ निकालने (CUSA) के ऑपरेशन भी हमारे देश में उपलब्ध है। करोड़रज्जु की सर्जरी सामान्यतः इतनी खरतनाक नहीं है, परंतु इतना सत्य है कि इसे नाजुकता से, कुशलता से बहुत जहेमतपूर्वक और संपूर्णत: व्यवस्थित तरीके से करनी पड़ती है, क्योंकि बहुत कम चौडाईवाले इस अंग में अत्यंत ठांसकर चेतातंतु भरे हुए हैं, इस कारण किसी भी प्रकार का नुकसान न हो इसलिए शस्त्रक्रिया के समय सावधानी रखनी पड़ती है। इसके अलावा दबावविहीन रोगो में चिकित्सा, रोग अनुसार की जाती है, जैसे कि... (१) टी.बी. का उपचार । (२) मल्टिपल स्क्लेरोसिस और ऐसे अन्य डिमाइलिनेटिंग डिसिज़ में तथा कोलेजन की बीमारी में स्टिरोईड्स दवाई । (३) विटामिन की कमी पूर्ण करना इत्यादि । (४) नयी उपचार पद्धतियों में स्टेमसेलथेरपी आशास्पद है - खास करके अकस्मात से करोड़रज्जु को नुकसान हुआ हौ तब उसके परिणाम काफी अच्छे मिले है। सामान्यतः वंशानुगत बीमारियाँ या घिसाव से संबंधित रोगों की (जैसे कि मोटर न्यूरोन डिसिज़) कुछ खास दवाई अभी तक संशोधित नहीं हुई। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001801
Book TitleMastishk aur Gyantantu ki Bimariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudhir V Shah
PublisherChetna Sudhir Shah
Publication Year2008
Total Pages308
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Science, & Medical
File Size17 MB
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