SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 215
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मस्तिष्क और ज्ञानतंतु की बीमारियाँ इन सभी बीमारियों में विशेषतः योग्य फिजियोथेरेपी (व्यायाम) करना जरूरी है। साथ ही पौष्टिक आहार लेना और पीठ की त्वचा में छाले न पड़े इसका ध्यान रखना | मल-मूत्र त्याग की तकलीफ हो तो उसका योग्य उपचार करवाना चाहिए । 196 करोड़रज्जु की सभी बीमारियों के विषय में जगह की कमी के कारण लिखना संभव नहीं हैं । सुर्खियाँ करोड़रज्जु, मस्तिष्क से पसार होनेवाली संवेदनाओं को चेता और स्नायुओं तक पहुंचाने वाला प्रसारण केन्द्र है । इसमें होनेवाली बीमारियों के समूह को मायलोपेथी कहते है । • सर्वाइकल मायलोपेथी, डोर्सलमायलोपेथी वगैरह मायलोपेथी के प्रकार है । • करोड़रज्जु की एम. आर. आई. जांच या सीटीस्कैन, कमर के पानी की जांच, मायलोग्राफी, विशिष्ट लेबोरेटरी जांच, इ.एम.जी., इत्यादि से रोग के बारे में अच्छी तरह से जाना जा सकता है । • करोड़रज्जु की सर्जरी निष्णात के पास सामान्यतः सरल है, इसीलिये सफलता से की जा सकती है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001801
Book TitleMastishk aur Gyantantu ki Bimariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudhir V Shah
PublisherChetna Sudhir Shah
Publication Year2008
Total Pages308
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Science, & Medical
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy