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16 - करोड़रज्जु के रोग (Myelopathy)
यह बीमारी उम्र और घिसाव से संबंधित होने के कारण इसे रोकना कठिन है, लेकिन गर्दन को झटका न लगे, गर्दन पर बहुत बोझ न डाला जाए
और आवश्यकता हो तो कोलर पहनकर गर्दन का हलनचलन घटाया जाए तो घिसाव अवश्य कम होगा ।
जब चेता या करोड़रज्जु पर दबाव अधिक हो तब साधारण व्यायाम तथा दर्द की दवाई का उपयोग करना चाहिए और जरूरत पड़ने पर अन्य योग्य केस में ट्रेकशनयुक्त (खिंचाव) व्यायाम किये जा सकते हैं । कभीकभी स्टीरोईड ग्रुप की दवाई भी अनुभवी डॉक्टर उपयोग में लेते हैं । सर्जरी से अधिकतर बहुत अच्छे परिणाम आते हैं, जिससे दर्द चला जाता है, चलने में सरलता होती है और आगे बताए गए रेडिक्युलोपथी तथा मायलोपथी के चिह्न काफी मात्रा में कम हो जाते हैं। (२) करोड़रज्जु की अन्य प्रकार की बीमारी को नोनकोम्प्रेसिव मायलोपथी
कहते हैं जिसके कई कारण हैं, जिसमें मुख्य निम्न अनुसार हैं : (१) करोड़रज्जु की अनेक प्रकार के वाइरस की बीमारी जिसमें
हर्पिस, रेबिस और एईड्स के वाइरस भी शामिल हैं । इसको
वाइरल मायलाईटिस कहते है । (२) टी.बी., मवाद के संक्रमित जंतू, फफूंद, सिफिलिस इत्यादि अनेक
प्रकार के संक्रमित रोग । ये भी मायलाईटिस (Myelitis) है। (३) करोड़रज्जु की अन्य प्रकार की सूजन जैसे कि...
रेबिस टीके के दुष्प्रभाव से करोड़रज्जु की कार्यवाही रुक जाना । मल्टिपल स्क्लेरोसिस (डिमायलीनेटिंग डिसीज़)
कोलेजन उदा. ल्युपसका करोडरज्जु से होता रोग । • शरीर में कहीं केन्सर हो और करोड़रज्जु में सूजन आये।
रेडियेशन (विकिरण) से करोड़रज्जु को हानि होना । उपर के तीनों (१), (२), (३) को मायलाईटिस (Myelitis) करोड़रज्जु की सूजन कहा जाता है ।
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